-अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस 5 दिसंबर, 2024 पर विशेष-
सामाजिक और आर्थिक विकास के लिए अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस 5 दिसंबर को प्रतिवर्ष दुनिया भर में मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 17 दिसंबर, 1985 को स्वयंसेवक दिवस मनाने की घोषणा की। तब से, अंतर्राष्ट्रीय स्वयंसेवक दिवस संयुक्त राष्ट्र प्रणाली, सरकारों, नागरिक समाज संगठनों आदि द्वारा प्रतिवर्ष मनाया जाने लगा। यह दिवस उन लोगों और संगठनों का सम्मान करता है जो दूसरों के जीवन को बेहतर बनाने एवं जरूरतमंद लोगों की सहायता के लिए अपना समय और ऊर्जा स्वेच्छा से देते हैं। स्वयंसेवकों को मान्यता देने के साथ-साथ, इस दिन का उद्देश्य परोपकार, सेवा एवं सहायता के रूप में स्वयंसेवा को बढ़ावा देना भी है। यह स्वयंसेवकों से जुड़े संगठनों और व्यक्तिगत स्वयंसेवकों को स्वयंसेवा को बढ़ावा देने, सरकारों को स्वयंसेवी प्रयासों का समर्थन करने के लिए प्रोत्साहित करने और स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) की उपलब्धि में स्वयंसेवकों के योगदान को मान्यता देने का अवसर प्रदान करता है।
पूरी दुनिया में 970 मिलियन स्वयंसेवक हैं। भले ही लाखों स्वयंसेवक हों, लेकिन दुनिया को हमेशा और अधिक की आवश्यकता है। आज देश एवं दुनिया के विभिन्न विश्वविद्यालयों में जिस स्वयंसेवक संगठन की उपयोगिता एवं सार्थकता की चर्चा है, जिसकी विलक्षणताओं एवं विशेषताओं पर शोध हो रहा है, वह है भारत का शताब्दी वर्ष मना रहा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, जो दुनिया सबसे बड़ा स्वयंसेवी संगठन है। संघ देश की सरकारों तथा गैर-सरकारी संस्थाओं को आर्थिक तथा सामाजिक विकास के साथ-साथ राष्ट्रीय एकता, सांस्कृतिक विरासत को प्रोत्साहन देने एवं राष्ट्रीय अस्तित्व एवं अस्मिता के प्रति उनकी प्रतिबद्धता का स्मरण कराता है।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ भारत का एक दक्षिणपंथी, हिन्दू राष्ट्रवादी, अर्धसैनिक, स्वयंसेवक संगठन हैं, जो भारत के सत्तारूढ़ दल भारतीय जनता पार्टी का व्यापक रूप से पैतृक संगठन माना जाता हैं। यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अपेक्षा संघ या आर.एस.एस. के नाम से अधिक प्रसिद्ध है। बीबीसी के अनुसार संघ विश्व का सबसे बड़ा स्वयंसेवी संस्थान है। इसकी स्थापना सन् 27 सितंबर 1925 को विजयदशमी के दिन मोहिते के बाड़े नामक स्थान पर डॉ. केशवराव बलिराम हेडगेवार ने की थी। संघ के 5 स्वयंसेवकों के साथ शुरू हुई विश्व की पहली शाखा आज 50 हजार से अधिक शाखाओ में बदल गई और ये 5 स्वयंसेवक आज करोड़ों स्वयंसेवकों के रूप में हमारे समाने हैं, जो स्वयं में एक विलक्षण एवं अद्भूत उदाहरण है। संघ आर्थिक असंतुलन, सांस्कृतिक उन्नयन एवं गरीबी को दूर करने एवं समतामूलक समाज की स्थापना के लिये प्रतिबद्ध है। राष्ट्र कई क्षेत्रों में प्रगति करने के बाद भी देश में गरीबी एक राक्षस के रूप में खड़ी है।
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