डॉ. जितेंद्र सिंह के अनुसार  पिछले नौ वर्षों के दौरान विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, अंतरिक्ष अनुसंधान और औषधि उद्योग (फार्मास्युटिकल्स)  में प्रधानमन्त्री  मोदी के नेतृत्व में लगी बड़ी छलांग ने भारत के वैज्ञानिक स्वभाव और कौशल को दुनिया के सामने प्रदर्शित किया है और भारत को उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ अग्रणी देशों की विशिष्ट श्रेणी  में शामिल कर दिया  है

केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार),प्रधानमंत्री कार्यालय ,परमाणु ऊर्जा विभाग,अंतरिक्ष विभाग और  कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले नौ वर्षों में भारत के वैज्ञानिक कौशल की सार्वभौमिक स्वीकृति परिलक्षित हुई है ।

मंत्री महोदय ने कहा, पिछले नौ वर्षों के दौरान प्रधानमन्त्री  मोदी के नेतृत्व में, भारत के वैज्ञानिक स्वभाव ने भारत को उभरती प्रौद्योगिकियों के साथ अग्रणी देशों की विशिष्ट  श्रेणी  में पहुंचा दिया है ।

वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) के मानव संसाधन विकास केंद्र, गाजियाबाद में विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के नए भर्ती हुए वैज्ञानिकों के लिए 46वें प्रवेश (इंडक्शन) कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कुछ अवांछित एवं निर्लज्ज  क्षेत्रों  द्वारा शंका जताए जाने  एवं अविश्वसनीय कहे जाने   के बावजूद हमारे  देश ने सफलतापूर्वक कोविड-19 महामारी का मुकाबला किया । प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के सक्षम मार्गदर्शन और नेतृत्व में, भारतीय औषधि निर्माता  कंपनियों ने कम समय में टीके (वैक्सीन) विकसित किए और सरकार ने न केवल कोविड-19 के प्रसार का मुकाबला किया, बल्कि विकसित दुनिया और विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ)  की प्रतिबद्धताओं के लिए टीके का निर्यात भी किया।

डॉ जितेंद्र सिंह ने कहा कि  आत्मनिर्भर भारत 3.0 पैकेज के एक  हिस्से के रूप में भारत सरकार द्वारा घोषित 900 करोड़ रूपये लागत वाले  ‘मिशन कोविड सुरक्षा’ के अंतर्गत जैव प्रौद्योगिकी विभाग (डीबीटी ) ने चार टीके वितरित किए और  कोवैक्सिन के निर्माण को बढ़ाया I ये चार टीके हैं- दुनिया का पहला और भारत का स्वदेशी रूप से विकसित डीएनए  वैक्सीन : जेडवाईसीओवी, भारत का पहला प्रोटीन सबयूनिट वैक्सीन  – सीओआरबीवीएएक्सटीएम, , दुनिया का पहला और भारत का स्वदेशी रूप से विकसित एमआरएनए वैक्सीन-  जीईएमसीओवीएसीटीएम- 19 ,  और दुनिया का पहला और भारत का स्वदेशी रूप से विकसित इंट्रानेजल सीओवीआईडी -19 वैक्सीन –आईएनसीओवीएसीसी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत ने वैश्विक नवाचार सूचकांक (ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स -जीआईआई) की अपनी वैश्विक रैंकिंग में वर्ष 2015 में 81वें स्थान  से 2022 में दुनिया की 130 अर्थव्यवस्थाओं में 40वें स्थान पर भारी छलांग लगाई। अनुसंधान एवं विकास पर सकल व्यय (जीईआरडी) पिछले 10 वर्षों में तीन गुना से अधिक बढ़ गया है। निवासी पेटेंट दाखिल करने के मामले में भारत 9वें स्थान पर है जबकि पिछले 9 वर्षों में बाह्य (एक्स्ट्राम्यूरल) अनुसंधान एवं विकास में महिलाओं की भागीदारी भी दोगुनी हो गई है।

मंत्री महोदय ने कहा कि दुनिया में स्टार्टअप्स (77,000) की संख्या और यूनिकॉर्न्स (107) की संख्या के मामले में भारत विश्व स्तर पर तीसरे स्थान पर है। भारत दुनिया में प्रौद्योगिकी आदान –प्रदान  के लिए सबसे आकर्षक निवेश स्थलों में तीसरे स्थान पर है। एससीआई पत्रिकाओं में प्रकाशनों की संख्या के मामले में भारत की महत्वपूर्ण वृद्धि हुई और  -2013 में 6वें स्थान से अब वह 3सरे स्थान पर आ गया है I इसके अलावा, संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बाद विज्ञान और इंजीनियरिंग (एस एंड ई) में शोध (पीएचडी) की संख्या (लगभग 25000) के मामले में भारत तीसरे स्थान पर है ।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, कि सीओपी 26 में प्रधानमंत्री की घोषणा के अनुरूप, भारत 2030 तक गैर-जीवाश्म (नॉन- फॉसिल) स्रोतों से 500 गीगा वॉट  की स्थापित बिजली क्षमता प्राप्त करने की दिशा में काम कर रहा है। अब तक,  देश में गैर-जीवाश्म ईंधन स्रोतों से 170 गीगा वॉट  से अधिक क्षमता स्थापित  की जा चुकी है। भारत अक्षय ऊर्जा की स्थापित क्षमता (बड़ी जलविद्युत परियोजनाओं  सहित) में विश्व स्तर पर चौथे, पवन ऊर्जा क्षमता में चौथे और सौर ऊर्जा क्षमता में भी  चौथे स्थान पर है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा, अंतरिक्ष सुधारों ने स्टार्टअप्स की नवोन्मेषी क्षमताओं को उजागर किया है और तीन-चार साल पहले के कुछ ही अंतरिक्ष के कुछ ही स्टार्ट-अप्स की तुलना में, थोड़े ही समय के भीतर आज हमारे पास अंतरिक्ष के अत्याधुनिक क्षेत्रों-  मलबे का प्रबंधन, नैनो-सैटेलाइट, लॉन्च व्हीकल, ग्राउंड सिस्टम, अनुसंधान आदि में काम करने वाले 102 स्टार्ट-अप्स हैं। मंत्री महोदय ने कहा, अनुसंधान एवं विकास, शिक्षा और उद्योग के एकीकरण के साथ समान हिस्सेदारी के साथ, यह कहना अब सुरक्षित है कि निजी क्षेत्र के साथ भारतीय अन्तरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो- आईएसआरओ)  के नेतृत्व में एक अंतरिक्ष क्रांति और स्टार्ट-अप क्षितिज पर हैं। पिछले  वर्ष  नवंबर में इसरो द्वारा पहली बार निजी विक्रम- सबऑर्बिटल (वीकेएस) रॉकेट प्रक्षेपित किया गया था, जिसने स्वतंत्र भारत की 75 साल की यात्रा में एक नया कीर्तिमान  स्थापित किया है ।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा,  कि रक्षा क्षेत्र में,  भारत के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को प्रधान मंत्री द्वारा सितंबर 2022 में कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड में शामिल किया गया था और कुछ दिनों पहले मिग-29 के युद्धक (फाइटर)  जेट ने  विमान वाहक पोत  पर सफलतापूर्वक  पहली रात्रिकालीन लैंडिंग की थी ।  सरकार के लगातार प्रयासों के कारण पिछले पांच वर्षों में रक्षा निर्यात में 334% की वृद्धि हुई है। इस क्षेत्र ने  वित्तीय वर्ष 2021-22 में रिकॉर्ड 13,000 करोड़ रुपये का आंकड़ा छू लिया। भारत अब 75 से अधिक देशों को रक्षा उपकरण निर्यात कर रहा है।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भारत विश्व  के खाद्यान्न, बागवानी और पशुधन- कुक्कुट (लाइवस्टॉक- पोल्ट्री) उत्पादकों में से एक है और आंशिक रूप से वैश्विक खाद्य आवश्यकताओं को भी पूरा कर रहा है । पिछले वर्ष भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर)  ने किसानों को उपलब्धता के लिए विभिन्न जैव- उत्पादों के अलावा 339,000  क्विंटल बीज और 14 करोड़ 75  लाख 60 हजार  से अधिक  पौध / पौधे / पशुधन उपभेद (स्ट्रेन)  का उत्पादन किया था ।

मंत्री महोदय ने कहा कि प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने अप्रैल 2023 में 2023-31 की अवधि के दौरान 6,000 करोड़ रुपये से अधिक की कुल लागत पर राष्ट्रीय क्वांटम मिशन (एनक्यूएम) को मंजूरी दी, जिसका लक्ष्य बीज, पोषण और वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान एवं विकास को बढ़ाना और क्वांटम प्रौद्योगिकी (क्यूटी) में एक जीवंत और अभिनव पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करना है । यह क्यूटी के नेतृत्व में आर्थिक विकास को गति देने के साथ ही  देश में पारिस्थितिकी तंत्र का पोषण करेगा और क्वांटम प्रौद्योगिकियों और अनुप्रयोगों (क्यूटीए) के विकास में भारत को अग्रणी देशों में से एक बना देगा ।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि नए मिशन का लक्ष्य सुपरकंडक्टिंग और फोटोनिक तकनीक जैसे विभिन्न प्लेटफार्मों में 8 वर्षों की अवधि में  50-1000 भौतिक क्यूबिट्स के साथ मध्यवर्ती प्रकार  (इंटरमीडिएट स्केल) के  क्वांटम कंप्यूटर विकसित करना है। भारत के भीतर 2,000 किलोमीटर की सीमा में भू-केन्द्रों (ग्राउंड स्टेशनों) के बीच उपग्रह आधारित सुरक्षित क्वांटम संचार, अन्य देशों के साथ लंबी दूरी की सुरक्षित क्वांटम संचार, 2,000 किमी से अधिक अंतर-नगरीय  क्वांटम कुंजी (की) वितरण के साथ-साथ क्वांटम मेमोरी से युक्त  बहु (मल्टी) -नोड क्वांटम नेटवर्क भी इस मिशन की कुछ उपलब्धियों  (डिलिवरेबल्स) में से एक हैं ।

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