शोधार्थियों के लिए अनमोल खजाना है बच्चों का देश का ‘रजत जयंती विशेषांक’

अखिलेश श्रीवास्तव ‘चमन’

नया साल है, नई बात है।
नए समय की शुरूआत है।
नए-नए संकल्प करें हम,
बाधाओं से नहीं डरें हम।
सोचा है जो कर दिखलाएँ,
दुनिया में कुछ नाम कमाएँ।
निश्चय होगी विजय हमारी,
विश्वासों की लहर साथ है।

जाकिर अली ‘रजनीश

नए वर्ष का नया रंग है।
सूरज निकला नया निराला।
चमकी नव-किरणों की माला।।
नई धरा, आकाश नया है,
नई रीति है, नया ढंग है।
नए वर्ष का नया रंग है।।

विनोद चन्द्र पाण्डेय ‘विनोद‘ 

होली भारतीयों का सबसे बड़ा और प्रमुख त्योहार है। यह त्योहार सभी गिले-शिकवे भुलाकर सबसे गले मिलने और सुख-शांति से रहने का संदेश देने वाला त्योहार है। इसी को लेकर पृष्ठ 84 पर जयपुर के डॉ. तारादत्त निर्विरोध, कटनी के राजा चौरसिया की होली पर कविताएँ प्रकाशित की गई हैं। इन दोनों ही कवियों को कविता को मजेदार ढंग से प्रस्तुत करने में महारथ हासिल है। निर्विरोध जी की ‘लो चंगों पर थाप पड़ी’ तथा राजा चौरसिया की कविता ‘होली’ मनभावन कविताएँ हैं। 

पृष्ठ 85 पर शाहजहाँपुर से डॉ. देशबंधु शाहजहाँपुरी की होली पर कहानी ‘खिल उठे होली के रंग’ प्रकाशित हुई है। पृष्ठ 86 पर थलसेना के अध्यक्ष जनरल वेद मलिक जी का पावन संदेश प्रकाशित किया गया है, जिसमें उन्होंने भावी पीढ़ी को संस्कारित करने के लिए ‘बच्चों का देश’ पत्रिका की भूरी-भूरी प्रशंसा की है। अगले पृष्ठ पर जयपुर के रूपनारायण काबरा की कहानी ‘कर्तव्य-बोध’ बच्चों के लिए प्रेरक कहानी है। पृष्ठ 88 पर प्रयागराज के डॉ. सन्त कुमार टंडन ‘रसिक’ की बाल कविता ‘बेटी की चिन्ता’ तथा हल्द्वानी के हरप्रसाद रोशन की कविता ‘पेड़ न कोई काटे’ तथा लाखेरी के रामगोपाल राही की कविता ‘पेड़ लगाया’ प्रकाशित की गई हैं। कविता मेरी सबसे पसंदीदा विधा है। पत्रिका हाथ में आते ही मैं सबसे पहले कविताएँ पढ़ता हूँ। इन कविताओं ने मेरा मनोरंजन तो किया ही, गुदगुदाया भी और लिखने की ओर प्रेरित भी किया।

पत्रिका के पृष्ठ 89 पर कोटा से अरनी रॉबर्ट्स की कहानी ‘आवाज का जादू’ अच्छी कहानी है। यह कहानी बच्चों के अंदर की प्रतिभा को खोजकर मन मुताबिक क्षेत्र में कार्य करने अथवा अपना कैरियर बनाने पर बल देती है। अगले पृष्ठ पर सिरसा, हरियाणा की प्रतिष्ठित रचनाकार डॉ. शील कौशिक की प्रेरणादायक कहानी ‘हार-जीत’ प्रकाशित हुई है। यह कहानी खेल-खेल में अपने क्षेत्र में मेहनत से कार्य कर सफलता प्राप्त करने की सीख देती है। इसके अगले पृष्ठ पर मणिप्रभ की प्रेरक चित्रकथा ‘जैसी करनी वैसी भरनी’ प्रकाशित हुई है। इसे चित्रांकन सत्यदेव सत्यार्थी ने किया है। बाल साहित्य में चित्रकथा मेरा सबसे प्रिय कॉलम है। बच्चे चित्र में इंगित कहानी के माध्यम से जल्दी सीखते हैं। पृष्ठ 93 पर डॉ. भैरूंलाल गर्ग की पद्य कथा ‘कौआ और कोयल’ तथा दीनदयाल शर्मा की कविता ‘बन्दर की होली’ प्रकाशित हुई है। दोनों ही कवि अपने-अपने क्षेत्र में अच्छा कार्य कर रहे हैं और उनकी यह बाल कविताएँ भी बच्चों के मन को छूने वाली हैं।

पृष्ठ 94 पर हिंदी बाल साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर सहारनपुर निवासी कृष्ण शलभ की बाल कविता ‘अम्मा बतलाती’ दिल को छूने वाली कविता है। महात्मा गांधी पर केंद्रित यह कविता बच्चों को बापू के सबसे बड़े हथियार ‘सत्य, अहिंसा’ के बारे में अच्छे से बताती है। ऐसी कविताएँ पाठ्यक्रम का हिस्सा होनी चाहिए, क्योंकि इनसे बच्चों का ज्ञानार्जन तो होता ही है, साथ ही वे महापुरुषों के व्यक्तित्व से भी परिचित होते हैं। इसी पृष्ठ पर कानपुर से डॉ. प्रतीक मिश्र की कविता ‘अच्छे बच्चे’ भी रोचक है। अगले पृष्ठ पर भागलपुर से पी.के. पाण्डेय का राष्ट्रपिता महात्मा गांधी पर केंद्रित जानकारीपरक आलेख ‘मोनिया तू बड़ा आदमी बनेगा’ प्रकाशित हुआ है। पृष्ठ 96 पर बिहार के पुष्पेश कुमार पुष्प की बोध कथा ‘श्रम की गरिमा’ बहुत रोचक कथा है। पृष्ठ 97 पर महाप्रज्ञ के कथाएँ ‘कितना आलस्य’ तथा डॉ. श्याम मनोहर व्यास की कथा ‘गेहूँ की रोटी’ अच्छी और प्रेरणादायक कथाएँ हैं। यह कथाएँ बच्चों को जीवन में अच्छा आचरण करने तथा मेहनत से फल पाने की इच्छा को दृढ़ करती हैं।

पृष्ठ 98 पर मध्य प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और जयपुर के विश्वम्भर नाथ उपाध्याय के सुंदर संदेश प्रकाशित हुए हैं। प्रकाश तातेड़ की ओर से इस पृष्ठ पर सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता-77 को दिया गया है, जिसमें रोचक जानकारी दी गई है और उसके उत्तर भी इसी अंक में दिए गए हैं। इसी पृष्ठ पर चुटकुले भी दिए गए हैं, जो बच्चों को गुदगुदाते हैं। पृष्ठ 99 पर ‘अनोखा बंधन’ रायबरेली के अरविन्द कुमार साहू की कहानी प्रकाशित हुई है, यह अच्छी और प्रेरक कहानी है। पृष्ठ 100 पर खेलरत्न मेजर ध्यान चंद पर रोचक संस्मरण प्रकाशित हुआ है। यह संस्मरण बच्चों को मेजर साहब के बारे में जानकारी से समृद्ध करता है। पृष्ठ 101 पर हिंदी बाल साहित्य के प्रखर पत्रकार और स्टोरी लेखक कोलकाता निवासी शिखरचन्द जैन का जानकारीपरक आलेख ‘कलम का कमाल बाल लेखक बेमिसाल’ प्रकाशित हुआ है। इस लेख में लेखक ने भारत के अलग-अलग हिस्सों में लिख रहे बाल लेखकों के बारे में अच्छी, रोचक जानकारी दी है। अगले पृष्ठ पर अल्मोड़ा, उत्तराखंड के लोकप्रिय बाल रचनाकार रमेश चंद्र पंत की बाल कविता ‘मत करना गलती’ एक शानदार कविता है। पंक्तियाँ द्रष्टव्य हैं-

गाल फुला कर
गुस्सा कर के,
क्यों गुमसुम बैठे हो भाई।
गन्दे बच्चों के संग लगता
एक बार फिर निकले घर से,
देर शाम को लौटे घर तो
छुप बैठे मम्मी के डर से।
लगता है फिर
इसी बात पर,
मम्मी जी ने डाँट लगाई।
क्यों गुमसुम बैठे हो भाई।।

इसी पृष्ठ पर ‘क्यों कहते हैं मुहावरे ? इनका शब्दार्थ अलग और भावार्थ अलग होता है’ के रूप में बच्चों का ज्ञानार्जन किया गया है। ‘आसमान से बातें करना’ और ‘उल्टी गंगा बहना’ नामक मुहावरे सुंदर रंगीन चित्रों के साथ दिए गए हैं, इनके माध्यम से बच्चे अच्छे से समझ सकते हैं। उज्जैन, मध्य प्रदेश के लेखक डॉ. रामसिंह यादव की कहानी ‘भूल का अहसास’ बच्चों के लिए प्रेरणा देती है। हर व्यक्ति के जीवन में भूल होती है, लेकिन उसका अहसास करना जरूरी होता है। पृष्ठ 105 पर ‘आओ ! बनाएँ कागज से खिलौने’ में बच्चों को कागज से खिलौने बनाना सिखाया गया है, जो बेहद रोचक है।

बच्चे इसे देखकर अपने घर पर ट्राई कर सकते हैं। पृष्ठ 106 पर हिंदी बाल साहित्य के अच्छे बाल कवियों की कविताएँ प्रकाशित की गई हैं। जयपुर के पूरन शर्मा की कविता ‘गुड्डा-गुड़िया’, जम्मू कश्मीर के डॉ. शिवदेव मन्हास की ‘बरखा रानी’ तथा खटीमा, उत्तराखंड के रावेंद्र कुमार रवि की ‘खुश हो जाता’ बाल कविताएँ प्रकाशित हुई हैं, जो बच्चों को गुदगुदाती हैं, मनोरंजन करती हैं। पृष्ठ 107 पर डॉ. बसन्तीलाल बाबेल का जानकारीपरक आलेख ‘संविधान की आत्मा’ बच्चों के लिए संग्रहणीय आलेख है। हरियाणा के लेखक महेन्द्र जैन की कहानी ‘करिश्मा का करिश्मा’ ‘वाह’ करने वाली कहानी है। यह कहानी बच्चों में अच्छा करने का भाव पैदा करती है। मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश के रचनाकार राजीव सक्सेना की कहानी ‘जल और फल’ मन को छूने वाली कहानी है। यह कहानियाँ बच्चों को संस्कारी बनाती हैं, उनमें आग बढ़ने, कुछ करने का जज्बा जगाती हैं।

पृष्ठ 110 को पढ़कर मेरी आँखें भर आईं। दिल को छूने वाली दो बातें इस पृष्ठ पर प्रकाशित हुई हैं। पहली बात ‘बेटे ने जोड़ा माता-पिता के टूटे रिश्तों को’ इसे कई बार पढ़ा। आज इस कहानी से समाज को सीख लेने की जरूरत है और दूसरी बात ‘चुनमुन जी !’ प्रकाशित हुआ है। यह कॉलम मुझे मेरे गुरु की याद दिलाता है। वे मुझे हमेशा यही संदेश देते हैं। पाठकों को यह पढ़वाना जरूरी लगता है। द्रष्टव्य है- 

चुनमुन जी !
क्या आप दूसरों की बुराई करते रहते हो ? खुद को देखा क्या ?
क्या आप जानते हो कि दूसरों के लिए कुछ कहने से पहले स्वयं के बारे में भी सोच लेना चाहिए।”

अगले पृष्ठ पर समकालीन बाल पत्र-पत्रिकाओं में सर्वाधिक प्रकाशित और पढ़े जाने वाले रचनाकार पूर्णिया, बिहार से ज्ञानदेव मुकेश की कहानी ‘सच की दोस्ती’ प्रेरणादायक कहानी है। पृष्ठ 113 पर बच्चों के प्रिय कॉलम ‘आओ मित्र चित्र बनाएँ’ तथा ‘दोनों चित्रों में अन्तर ढूँढिए’ प्रकाशित हुए हैं। बच्चे इससे अपना बौद्धिक विकास कर सकते हैं। अगले पृष्ठ पर बीकानेर की प्रतिष्ठित लेखिका इंजी. आशा शर्मा की कहानी ‘सफाई का सबक’ प्रकाशित हुई है। यह कहानी बच्चों की दृष्टि से पठनीय है। इसी पृष्ठ पर बीकानेर की ही संगीता सेठी की ‘हाँ मैं झूठ बोलूँगा’ सच्ची घटना पर आधारित रचना प्रकाशित हुई है, जो बच्चों को प्रेरित करती है। पृष्ठ 116 पर दिल्ली की शिक्षिका नेहा गुप्ता ने ‘एकता से श्रेष्ठता की ओर बढ़ता मेरा भारत’ नाम से एक पत्र लिखा है, जो बच्चों के लिए रोचक तो है ही, यह उनमें देशभक्ति का जज्बा भी जगाता है। अगले पृष्ठ पर मेरे प्रिय रचनाकार शाहजहाँपुर निवासी डॉ. अरशद खान की कहानी ‘चुप्पी’ प्रकाशित हुई है।

डॉ. अरशद खान बाल मनोविज्ञान को परखकर बाल रचना करने वाले बच्चों के प्रिय रचनाकार हैं। अगले पृष्ठ पर ‘क्या परफ्यूम से बुरा असर भी होता है ?’ लेख पाठकों का ध्यान खींचता है। यह लेख परफ्यूम के बारे में रोचक जानकारी देता है। अगले पृष्ठ पर सम्भल के कॉलेज में सहायक आचार्य डॉ. फहीम अहमद की रोचक पद्य कथा ‘मिस्टर लल्लू लाल’ प्रकाशित हुई है। यह कथा बच्चों को गुदगुदाती है। इसी पृष्ठ पर चिल्ड्रन्स पीस पैलेस की सैर चित्रों के माध्यम से करवाता है।

पृष्ठ 122 पर बरेली की दिवंगत कवयित्री डॉ. महाश्वेता चतुर्वेदी की बाल कविता ‘सांता क्लॉज’ सुंदर कविता है। नेपाल के कवि सुरेन्द्र प्रसाद गिरी की बाल कविता ‘जाड़ा आया’ अच्छी और गुदगुदाने वाली बाल कविता है। पृष्ठ 123 पर महापुरुषों के विचार प्रकाशित किए गए हैं। यह विचार बच्चों को अवश्य जीवन में आगे बढ़ने में सहायक होंगे। बैंगलोर, कर्नाटक की लेखिका सुधा भार्गव की कहानी ‘बरसात की रिमझिम’ पठनीय कहानी है। पृष्ठ 125 पर सीताराम गुप्ता ने बच्चों को ‘दिमागी कसरत’ कराने के लिए रोचक मुहावरों से मिलान करने का अनूठा खेल इस पृष्ठ पर दिया है।

यह बच्चों के लिए बहुत आवश्यक कॉलम है। पृष्ठ 126 पर रजनीकांत शुक्ल की साहसी बच्चे के अंतर्गत ‘साहस की छलांग’ रोचक और प्रेरक कथा प्रकाशित हुई है। इसके अगले पृष्ठ पर हिमाचल प्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल विष्णुकांत शास्त्री का ‘बच्चों का देश’ के लिए शुभकामना संदेश प्रकाशित हुआ है। इस पत्रिका द्वारा बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण को लेकर वे आश्वस्त दिखते हैं। पृष्ठ 128 पर कोटा, राजस्थान के भगवती प्रसाद गौतम की बाल कविता ‘मेघ डाकिया’ प्रकाशित हुई है। बच्चों के मन को छूने वाली यह बाल कविता मजेदार है। अगले पृष्ठ पर इंदौर के नयन कुमार राठी की कहानी ‘लगाम’ पठनीय है। पृष्ठ 130 पर बड़ौदा के गर्वित बोथरा का जानकारीपरक आलेख ‘आओ ! बदलें कल्पना हकीकत में’ प्रकाशित हुआ है।

यह आलेख पाठकों को जेब्रा क्रोसिंग के बारे में रोचक तथ्य बताता है। अगले पृष्ठ पर डॉ. शशि गोयल की ‘कद्दू राजा’ तथा डॉ. मृदुल शर्मा की ‘साहस, सत्य और विश्वास’ पद्य कथाएँ प्रकाशित हुई हैं, जो बच्चों को भाती हैं। पृष्ठ 132 पर सरोजनी कुलश्रेष्ठ की ‘वीरता का अवतार’ झांसी की रानी पर केंद्रित बाल कविता प्रकाशित हुई है। यह बाल कविता बच्चों में राष्ट्रीय भक्ति की भावना विकसित करती है। पृष्ठ 133 पर संकेत जैन का ‘ऐसा मेरा देश’ कॉलम के अंतर्गत ‘जीवित पुल’ की रोचक जानकारी दी गई है। पृष्ठ 134 पर अणुव्रत का संदेश विभिन्न चित्रों के माध्यम से प्रकाशित किया गया है, जो बच्चों को जीवन में धारण करने पर बल देता है।

अगले पृष्ठ पर फर्रुखाबाद के डॉ. राजीव गुप्ता की कहानी ‘हमदर्द रजाई’ बच्चों के लिए प्रेरक है। इसके अगले पृष्ठ पर मुरादाबाद की कनक लता रस्तोगी की रोचक पहेलियाँ प्रकाशित हुई हैं, जो बच्चों का मनोरंजन करती हैं। पृष्ठ 137 पर प्रमोद दीक्षित ‘मलय’ का जानकारीपरक आलेख ‘राष्ट्र-साधना का अमर गीत वन्देमातरम्’ प्रकाशित हुआ है। यह आलेख कई दृष्टियों से महत्वपूर्ण है। बंकिमचंद्र चटर्जी के उपन्यास ‘आनंद मठ’ में रचित वन्देमातरम गीत हमारे भारत का राष्ट्रीय गीत है। इसने आजादी के समय भारतीयों को एकता के सूत्र में पिरोने का महती कार्य किया।

‘बच्चों का देश’ रजत जयंती का पृष्ठ 138 व 139 बच्चों की दृष्टि से बहुत खास है। हिंदी बाल साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर कई कवि और कवयित्रियों की कविताएँ इन पृष्ठों पर छपी हैं। क्रमशः राजस्थान की कुसुम अग्रवाल की कविता ‘बच्चे ज्यों बगिया के फूल’, जबलपुर के ओमप्रकाश बजाज की कविता ‘पहला कदम’, हिसार, हरियाणा के डॉ. रामनिवास मानव की कविता ‘हुई सुबह’, शाहजहाँपुर के डॉ. नागेश पाण्डेय ‘संजय’ की कविता ‘पेड़ नहीं काटो भैया’ तथा राजस्थान के रामजीलाल घोड़ेला ‘भारती’ की कविता ‘पेड़ लगाएँ’ प्रकाशित हुई हैं। यह बाल कविताएँ रोचक तो हैं ही, बच्चों का मनोरंज भी करती हैं, उनके अंदर कुछ करने का जज्बा जगाती हैं तथा पर्यावरण के प्रति जागरूक भी करती हैं। सभी बाल कविताएँ एक से बढ़कर एक हैं। संदेश देती हुई नागेश पाण्डेय ‘संजय’ की कविता की कुछ पंक्तियाँ द्रष्टव्य हैं- 

रो रो कहती गोरैया,
पेड़ नहीं काटो भैया।
पेड़ अगर कट जाएँगे,
कहो कहाँ हम जाएँगे,
पेड़ न होंगे धरती पर,
हवा कहाँ होगी सर सर,
क्या जानोगे पुरवैया।

डॉ. रामनिवास मानव की बाल कविता भी रोचक है। पंक्तियाँ द्रष्टव्य हैं-

उठो मियाँ अब हुई सुबह,
स्वच्छ धुली अनछुई सुबह।
उठ कर चंदा-तारे अब,
गए घूमने सारे अब।
तुम भी उठो, घूमो-फिरो,
क्यों सोए हो प्यारे अब !
ओस, फूल, खुशियाँ लेकर
आई है जादुई सुबह।

पृष्ठ 140 पर ‘बच्चों का देश’ पत्रिका टीम ने व्हाट्स ऐप से प्राप्त ‘बेटी का दहेज’ कहानी प्रकाशित की है। यह कहानी बच्चों की दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। इस कहानी के लेखक का पता टीम को नहीं चल पाया, लेकिन कहानी प्रेरणादायक है। इससे बच्चे अवश्य लाभान्वित होंगे। इसके अगले पृष्ठ पर रांची के अंकुश्री की कहानी ‘द्वेष का फल’ सुंदर और प्रेरणादायक कहानी है। इसके अगले पृष्ठ पर हिंदी के भक्तिकाल की ज्ञानाश्रयी शाखा के महत्वपूर्ण कवि कबीरदास का प्रेरक दोहा दिया गया है, जो बच्चों को ग्रहण करने योग्य है। दोहा द्रष्टव्य है-

जैसा भोजन खाइए, तैसा ही मन होय।
जैसा पानी पीजिए, तैसी वाणी होय।।

पृष्ठ 143 पर पटियाला, पंजाब के डॉ. दर्शनसिंह आशट की कहानी ‘पत्र का असर’ बच्चों के लिए बेहद जरूरी कहानी है। बच्चे इससे जल बचना, पानी बहाने के कारणों को भली-भांति समझ सकते हैं। अगले पृष्ठ पर विदिशा की पद्मा चौगांवकर की कहानी ‘खुशी मिल गई’ पाठकों को प्रभावित करने वाली कहानी है। इसी पृष्ठ पर अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन का प्रेरक संदेश छपा है। यह संदेश बच्चों को पढ़ने के प्रति जागरूक करता है। पृष्ठ 146 पर मुरादाबाद के कवि-लेखक डॉ. राकेश चक्र की पद्य कविता ‘कथा कौवे ने की मित्रता’ रोचक कथा है। छोटी सी कथा के माध्यम से यह कविता कई संदेश देती है। अगले पृष्ठ पर लखनऊ के गौरीशंकर वैश्य ‘विनम्र’ की कविता ‘बचत भली आदत’ तथा बैंगलोर, कर्नाटक के माणक तुलसीराम गौड़ की कविता ‘चिड़िया’ मनभावन कविताएँ हैं।

यह कविताएँ बच्चों का मनोरंजन भी करती हैं और बचत करने की भावना विकसित करती हैं। पृष्ठ 148 पर अजमेर की चेतना उपाध्याय की कहानी ‘शहीद का बेटा’ रोचक और प्रेरक कहानी है। इसके अगले पृष्ठ पर औरैया के कैलाश त्रिपाठी की कविता ‘नाना के घर जायेंगे’ रोचक और सहज ही जुबान पर आने वाली कविता है। सिहोरा के अश्विनी पाठक की कविता ‘फलों का राजा’ तथा फरीदाबाद की डॉ. इंदु गुप्ता की कविता ‘पेड़ खजूर’ मजेदार बाल कविताएँ हैं। पृष्ठ 151 पर लखनऊ की अलका प्रमोद की कहानी ‘जादुई दस्ताने’ अच्छी और रोमांच पैदा करने वाली कहानी है। पृष्ठ 153 पर पटियाला, पंजाब की सुकीर्ति भटनागर की कहानी ‘हैलो मम्मी’ प्रेरक कहानी है। अगले पृष्ठ पर अजमेर के अच्छे कहानीकार गोविन्द भारद्वाज की कहानी ‘सेठानी की सीख’ बच्चों को सीख देने वाली प्रेरक कहानी है। सलूंबर की डॉ. विमला भंडारी की कहानी ‘स्वाद का रहस्य’ मुँह में स्वाद भरती है। यह सभी कहानियाँ बच्चों की दृष्टि से रोचक तो हैं ही, सीख देने वाली कहानी हैं।

पृष्ठ 159 पर महाप्रज्ञ की कथाएँ ‘पूर्वाग्रह से मुक्ति’ बहुत ही रोचक और सीख देने वाली कथा है। इसी पेज पर जयपुर की सुशीला शर्मा की कविता ‘तरकारी का खेल’ मजेदार कविता है। अगले पृष्ठ पर नीमच के ओमप्रकाश क्षत्रिय ‘प्रकाश’ की कहानी ‘दिल से बातचीत’ रोमांचित करने वाली कहानी है। पृष्ठ 161 पर ‘नन्हा आर्य’ नाम से चित्रकथा प्रकाशित हुई है। इसका आकल्पन संचय जैन का है, जबकि चित्रांकन वेणु वरियाथ ने किया है। चित्रकथा मेरी रोचक विधा है। बचपन से मैं खूब पढ़ता हूँ। बच्चे इसके माध्यम से आसानी से सीखते हैं। पृष्ठ 163 पर जयपुर की सावित्री रांका की ‘सेवा की लगन’ कहानी प्रेरक है। सच है, जिस कार्य को लगन से किया जाए तो वह अवश्य ही पूर्ण होता है।

वैसे ही व्यक्ति में यदि दूसरों की सेवा करने की लगन लगी है, तो वह सब कार्य छोड़कर करेगा, यही संदेश यह कहानी देती है। अगले पृष्ठ पर पटना के भगवती प्रसाद द्विवेदी की कहानी ‘झूठ का पर्दाफाश’ दिल को छूने वाली कहानी है। बच्चों के लिए इससे सीख मिलेगी। पृष्ठ 165 पर मुंबई के समीर गांगुली की कहानी ‘पढ़ाई काम आई’ सीख देने वाली कहानी है। अगले पृष्ठ पर हिंदी बाल साहित्य के उभरते युवा बाल साहित्यकार शिव मोहन यादव की बाल कविता ‘गर्मी से छुटकारा पाओ’ मनभावन कविता है। यह कविता पाठ्यक्रम का हिस्सा होनी चाहिए। पंक्तियाँ द्रष्टव्य हैं-

लू-लपटें चल रहीं भयंकर,
जलती धरती, तपता अम्बर।
तापमान कम कैसे होगा ?
इसकी थोड़ी जुगत लगाओ।
गर्मी से छुटकारा पाओ !
हरी सब्जियाँ खाते जाओ,
भोजन में सलाद अपनाओ।
बचना है यदि गर्मी से तो,
पल-पल पानी पीते जाओ।
गर्मी से छुटकारा पाओ !

शिव मोहन यादव की बाल कविताएँ रोचक तो होती ही हैं, सहज ही जुबान पर आने लगती हैं। पृष्ठ 167 पर नई दिल्ली के अनिल जायसवाल ने ‘क्रिकेट की रोमांचक घटनाएँ’ नाम से क्रिकेट पर अच्छा आलेख लिखा है। इसके माध्यम से उन्होंने रोचक जानकारी दी है। पृष्ठ 168 पर भोपाल की डॉ. लता अग्रवाल की कविता ‘लोरी’ तथा राजस्थान के उदय मेघवाल ‘उदय’ की कविता ‘बच्चों का देश पत्रिका’ तथा विष्णु शास्त्री ‘सरल’ की कविता ‘छाया का राज’ अच्छी और गुदगुदाने वाली कविताएँ हैं। अगले पृष्ठ पर पत्रिका के सह संपादक प्रकाश तातेड़ ने बच्चों का लुभाने वाला कॉलम दिमागी कसरत दिया है, जिसमें फलों की टोकरी में फलों के नाम अंग्रेजी में दिए हैं। बच्चे इससे खोज सकते हैं। अगले पृष्ठ पर गाजीपुर की डॉ. संगीता बलवन्त की कहानी ‘देश प्रेम की परिभाषा’ बच्चों में राष्ट्रीय भावना का संदेश देने वाली रोचक कहानी है। पृष्ठ 172 पर चेन्नई की रोचिका अरुण शर्मा की कहानी ‘गियर वाली साइकिल’ सीख देने वाली कहानी है।

‘जुगनू भैया’ लखनऊ की नीलम राकेश की रोचक कहानी है। पृष्ठ 174 पर अगस्त-सितंबर माह में आने वाले बच्चों के जन्मदिन पर पत्रिका ने जन्मदिन की बधाई देकर उनके जन्मदिन को खास बना दिया है। अगले पृष्ठ पर कानपुर के चक्रधर शुक्ल की कविता ‘बन्दर मामा’ तथा दरभंगा के डॉ. सतीश चन्द्र भगत की कविता ‘खुशियों की सौगात लुटाती’ प्रभावित करने वाली कविताएँ हैं। पृष्ठ 176 पर देहरादून की डॉ. कुसुम रानी नैथानी की कहानी ‘बुरी नजर का असर’ बच्चों को प्रभावित करती है। इसी के अगले पृष्ठ पर पत्रिका टीम की ओर से लाल बहादुर शास्त्री पर ‘प्रेरक प्रसंग’ प्रकाशित किया गया जो बच्चों के लिए ग्रहण करने योग्य है।

पृष्ठ 178 पर भीलवाड़ा की रेखा लोढ़ा ‘स्मित’ की कविता ‘ये बदल क्यों रोते हैं’, उन्नाव की नीता अवस्थी की कविता ‘बादल आए’ तथा भोपाल के महेंद्र कुमार वर्मा की कविता ‘बरखा दीदी’ बच्चों को लुभाने वाली बाल कविताएँ हैं। अगले पृष्ठ पर ‘पंछी हुए फुर्र’ पौढ़ी गढ़वाल के चर्चित बाल कथाकार मनोहर चमोली की कहानी प्रकाशित हुई है। दो पृष्ठ की यह बालकथा रोचक है। यह कहानी बिना आगे की चिंता कर्म किए जाने पर बल देती है, लेकिन यहाँ एक गलती हुई है। चित्र लगाते समय ध्यान नहीं दिया गया है। कहानी के कुछ शब्द चित्र लगाते समय कट गए हैं। पाठकों को दृष्टिगत रखते हुए ध्यान रखा जाना चाहिए। अगले पृष्ठ पर ‘पौधारोपण’ जोधपुर के सुनील कुमार माथुर की कहानी पर्यावरण के प्रति जागरूक करने वाली है।

पृष्ठ 182 पर ‘बूँद-बूँद से भरता घड़ा’ चित्तौड़गढ़ की उषा सोमानी की बेहतरीन कहानी है। बचत करने का भाव जगाती यह कहानी बच्चों को पढ़नी चाहिए। अगले पृष्ठ पर नई दिल्ली की कविता मुकेश की कहानी ‘संगीत का जादू’ प्रकाशित हुई है। संगीत हर व्यक्ति को आनंदमय रखता है। इस दृष्टि से कविता मुकेश की यह कहानी पठनीय है। पृष्ठ 185 पर ‘बच्चों का देश’ द्वारा ‘बच्चों का क्लब’ नाम से ऑनलाइन ड्राइंग कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसका विषय ‘समुद्री जीव’ था। 7 से 15 उम्र तक के बच्चों के इस क्लब की सदस्यता निःशुल्क है। इसी पर केंद्रित देशभर के बच्चों ने इसमें भाग लिया, जिसके चयनित चित्र इस पेज पर प्रकाशित किए गए हैं। इस तरह के आयोजन बच्चों में हौसलाअफजाई करते हैं और कुटुंब की भावना विकसित होती है। अगले पृष्ठ पर मुंबई के ताराचंद मकसाने की कहानी ‘बचत के बीज’ रोचक और प्रेरणादायक कहानी है। इसी पृष्ठ पर राजस्थान के तत्कालीन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का शुभकामना संदेश प्रकाशित किया गया है। यह संदेश बच्चों के व्यक्तित्व निर्माण में महती भूमिका निभाएगा।

पृष्ठ 188 पर स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर ‘सारे जहाँ से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा’ के रूप में सुंदर और देशभक्तिपरक बच्चों के बनाए चित्र प्रकाशित किए गए हैं। अगले पृष्ठ पर ‘ऐसे होती है बारिश’ बरेली के गुडविन मसीह का जानकारीपरक आलेख प्रकाशित हुआ है। पृष्ठ 191 पर इंदौर निवासी और देवपुत्र पत्रिका से जुड़े गोपाल माहेश्वरी की नाटिका ‘जागता गाँव’ प्रकाशित हुआ है। यह नाटिका बच्चों को पात्रों के माध्यम से बहुत सीख देती है। नाटिका बच्चों की प्रिय विद्या है। पृष्ठ 193 पर ‘चाचा नसरूद्दीन आफन्ती’ चित्रकथा प्रकाशित हुई है। इसे चित्रांकन सत्यदेव सत्यार्थी ने किया है। यह कॉलम बच्चों के मन को छूने वाला है। पृष्ठ 195 पर ‘बच्चों का देश’ पत्रिका के संरक्षक सदस्यों की सूची दी गई है तथा अगले पृष्ठ पर पत्रिका के अंदर के पृष्ठों पर दी गईं पहेलियाँ, सुडोक, सामान्य ज्ञान प्रतियोगिता के उत्तर इस पृष्ठ पर दिए गए हैं। पृष्ठ 197 से 256 तक पत्रिका के रजत जयंती विशेषांक पर विज्ञापन दिए गए हैं।

256 में से 196 पेज की यह बाल पत्रिका अपने आप में एक अच्छा बालग्रंथ है, जो बच्चों के लिए ही नहीं, बड़ों के लिए भी संग्रहणीय है। इसमें कहानी हैं, कविताएँ हैं, आलेख हैं, प्रतियोगिता हैं, पहेलियाँ हैं, जो बच्चों जोड़ती हैं, सीख देती हैं, आगे बढ़ने का जरिया बनती हैं। यह कहानियाँ ‘बच्चों का देश’ पत्रिका के 25 वर्षों की यात्रा के दौरान के साक्षी रहे बाल रचनाकारों की रचनाओं को समेटने का एक बड़ा और सुंदर प्रयास है। कुल मिलाकर ‘बच्चों का देश’ पत्रिका ने बच्चों के बीच ‘नंदन’ जैसी पत्रिका की कमी को पूरा करने का महती कार्य किया है। ‘बच्चों का देश’ पत्रिका की यह यात्रा अनवरत चलती रहे। शतक पार करे, दिन व दिन निखारती रहे। ऐसी मेरी शुभकामनाएँ हैं।

डॉ. उमेशचन्द्र सिरसवारी
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