रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज गुजरात स्थित भुज एयरफोर्स स्टेशन पर वायु सैनिकों को संबोधित करते हुए आतंकवाद के विरुद्ध भारत की नीति को स्पष्ट और दृढ़ शब्दों में प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि “आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई अब केवल सुरक्षा का विषय नहीं, बल्कि राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत का हिस्सा बन चुकी है। आतंकवाद के हर स्वरूप को जड़ से समाप्त किया जाएगा।”

रक्षा मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि मौजूदा युद्धविराम कोई स्थायी समाधान नहीं है, बल्कि यह पाकिस्तान के व्यवहार पर आधारित एक अस्थायी कदम है। यदि उसका रवैया सुधार की दिशा में बढ़ता है तो स्वागत योग्य है, लेकिन यदि कोई चूक होती है, तो भारत कड़ी प्रतिक्रिया देने में संकोच नहीं करेगा।
ऑपरेशन सिंदूर – अभी समाप्त नहीं
श्री सिंह ने दो टूक कहा कि ऑपरेशन सिंदूर अभी समाप्त नहीं हुआ है। उन्होंने इसे महज़ एक “ट्रेलर” करार देते हुए कहा कि यदि आवश्यकता पड़ी तो “पूरी तस्वीर” भी दिखाई जाएगी। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि “आतंकवाद पर हमला करना और उसे समाप्त करना” अब नए भारत की सामान्य कार्यशैली बन चुकी है।
उन्होंने बताया कि पाकिस्तान द्वारा नष्ट आतंकी ढांचों के पुनर्निर्माण की गतिविधियां फिर से प्रारंभ कर दी गई हैं। इस पर कड़ा रुख अपनाते हुए श्री सिंह ने अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) से पाकिस्तान को दी जाने वाली 1 अरब डॉलर की सहायता पर पुनर्विचार की मांग की। उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान, जनता से एकत्र किए गए करों का उपयोग आतंकी संगठनों जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा के पुनर्गठन में कर रहा है, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिबंधित संगठन हैं।
वायुसेना की ताकत ने दी निर्णायक बढ़त
रक्षा मंत्री ने भारतीय वायुसेना की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में वायुसेना ने केवल 23 मिनट में पाकिस्तान और पीओके स्थित आतंकी शिविरों को ध्वस्त कर दिया। उन्होंने कहा, “जब दुश्मन के क्षेत्र में हमारी मिसाइलें गिरीं, तब दुनिया ने भारत की साहसिक क्षमता और सैन्य पराक्रम को महसूस किया।”
श्री सिंह ने यह भी बताया कि भारतीय लड़ाकू विमान बिना सीमा पार किए पाकिस्तान के भीतर कहीं भी सटीक हमले करने में सक्षम हैं। उन्होंने इसे भारत की नवीन युद्ध नीति और आत्मनिर्भर रक्षा तकनीक का प्रमाण बताया। रक्षा मंत्री ने गर्व के साथ कहा कि अब भारत सिर्फ आयात पर निर्भर नहीं है, बल्कि रडार सिस्टम, मिसाइल शील्ड, ड्रोन और आर्टिलरी सिस्टम जैसे अत्याधुनिक हथियार देश में ही बना रहा है।
‘ब्रह्मोस’ और ‘आकाश’ प्रणाली – भारत की सुरक्षा कवच
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत द्वारा विकसित ब्रह्मोस मिसाइल की क्षमता को अब पाकिस्तान भी स्वीकार कर चुका है। उन्होंने कहा, “इस मिसाइल ने रात में भी दिन जैसा स्पष्टता से जवाब दिया।” साथ ही उन्होंने डीआरडीओ द्वारा निर्मित आकाश रडार सिस्टम और अन्य रक्षा प्रणालियों की सराहना की, जो भारत की वायु रक्षा को अत्यंत सशक्त बनाते हैं।
सीमाओं पर अटूट सुरक्षा, सैनिकों में असीम जोश
श्री सिंह ने बताया कि उन्होंने श्रीनगर के बादामी बाग कैंट में भी सैनिकों से संवाद किया था और अब भुज में वायु सैनिकों के बीच आकर उन्हें फिर यह विश्वास हो गया है कि भारत की सीमाएं पूरी तरह सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा, “मैंने दोनों मोर्चों पर सैनिकों में अपार जोश, अनुशासन और देशभक्ति का सर्वोच्च स्तर देखा है।”
भुज – देशभक्ति की धरती
भुज को राष्ट्रभक्ति की भूमि बताते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि यह स्थान 1965, 1971 और अब की सफलता का साक्षी है। उन्होंने कहा कि यहां के सैनिक राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए अडिग संकल्प के साथ डटे रहते हैं। उन्होंने वायुसेना, सीमा सुरक्षा बल (BSF) और अन्य बलों के सैनिकों के प्रति गहरा आभार व्यक्त किया।
आत्मनिर्भर भारत की रक्षा नीति
श्री सिंह ने यह भी दोहराया कि भारत अब रक्षा उपकरणों का आयातक से निर्यातक बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह शुरुआत भर है – आने वाला भारत रक्षा उत्पादन और तकनीक के क्षेत्र में विश्व नेतृत्व के लिए तैयार है।
आतंकवाद के खिलाफ राष्ट्रीय एकजुटता
रक्षा मंत्री ने कहा कि भारत के नागरिक, सरकार और सुरक्षा बल एकजुट होकर आतंकवाद के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि “हम सब मिलकर आतंकवाद को जड़ से खत्म करेंगे और कोई भी भारत की संप्रभुता को चुनौती नहीं दे पाएगा।”
उन्होंने ऑपरेशन सिंदूर में शहीद हुए वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि अर्पित की और पहलगाम में मारे गए निर्दोष नागरिकों के प्रति भी संवेदना प्रकट की।
इस अवसर पर वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह और अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। यह आयोजन भारत की रक्षा नीति, सैन्य ताकत और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक स्पष्ट, शक्तिशाली और निर्णायक वक्तव्य बनकर सामने आया।