प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन और केंद्रीय कोयला एवं खान मंत्री श्री जी. किशन रेड्डी के नेतृत्व में खान मंत्रालय ने विशेष अभियान 5.0 के तहत एक महत्वाकांक्षी और दूरदर्शी पहल – अखिल भारतीय ई-कचरा रीसाइक्लिंग अभियान – की शुरुआत की है। 2 से 31 अक्टूबर, 2025 तक चलने वाला यह अभियान न केवल सरकारी कार्यालयों में स्वच्छता और व्यवस्था को सुदृढ़ करेगा, बल्कि इलेक्ट्रॉनिक कचरे के वैज्ञानिक निपटान और मूल्यवान संसाधनों की पुनर्प्राप्ति के माध्यम से देश की आत्मनिर्भरता और स्वच्छ ऊर्जा परिवर्तन के लक्ष्य को भी बल प्रदान करेगा।

नई दिल्ली स्थित शास्त्री भवन में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में सचिव (खान) श्री पीयूष गोयल ने इस राष्ट्रव्यापी ई-कचरा संग्रहण अभियान का शुभारंभ किया। खान मंत्रालय द्वारा संचालित यह पहल इसके स्वायत्त निकाय जवाहरलाल नेहरू एल्युमीनियम अनुसंधान विकास एवं डिजाइन केंद्र (JNARDDC) के सहयोग से चलाई जा रही है। अभियान का दायरा केवल राजधानी तक सीमित नहीं है, बल्कि नागपुर और हैदराबाद जैसे प्रमुख नोडल केंद्रों सहित देशभर के केंद्रीय और क्षेत्रीय कार्यालयों, सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों, स्वायत्त संस्थानों और इकाइयों तक विस्तृत है।
बेकार इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का वैज्ञानिक निपटान
इस अभियान का प्रमुख उद्देश्य सरकारी और सार्वजनिक कार्यालयों में वर्षों से जमा पड़े पुराने कंप्यूटर, लैपटॉप, प्रिंटर, मोबाइल फोन, एलईडी डिस्प्ले और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का वैज्ञानिक और सुरक्षित निपटान सुनिश्चित करना है। शास्त्री भवन के प्रवेश द्वार पर इस उद्देश्य के लिए एक समर्पित स्टॉल स्थापित किया गया है, जहां कर्मचारी अपने पुराने उपकरण जमा कर सकते हैं। साथ ही, ई-कचरे की होम पिकअप प्री-बुकिंग सुविधा भी उपलब्ध कराई गई है, जिससे कर्मचारी और अधिकारी अपने घरों से भी इस अभियान में भाग ले सकते हैं। जमा किए गए उपकरणों पर निर्धारित बचाव मूल्य (salvage value) भी लागू होगा।
उद्योग और सरकार की साझेदारी से स्वच्छ ऊर्जा के लक्ष्य को बल
अभियान को और अधिक प्रभावी बनाने के लिए JNARDDC ने भारत की अग्रणी इलेक्ट्रॉनिक अपशिष्ट रीसाइक्लिंग कंपनी अटेरो (Attero) के साथ साझेदारी की है। इस सहयोग के तहत अटेरो ने देशभर में 20 से अधिक ई-कचरा संग्रहण केंद्र स्थापित किए हैं, जिनमें प्रमुख सरकारी और सार्वजनिक क्षेत्र के परिसर भी शामिल हैं।

अटेरो अपनी विश्व स्तर पर पेटेंट प्राप्त उन्नत रीसाइक्लिंग तकनीकों का उपयोग करते हुए ई-कचरे और लिथियम-आयन बैटरियों से लिथियम, कोबाल्ट, निकल, मैंगनीज, ग्रेफाइट और नियोडिमियम, प्रेजोडायमियम, डिस्प्रोसियम जैसे दुर्लभ मृदा तत्वों को पुनर्प्राप्त करती है। ये सभी तत्व बैटरियों, चुम्बकों, रक्षा उपकरणों और स्वच्छ ऊर्जा प्रणालियों के निर्माण के लिए अत्यंत आवश्यक हैं।
आत्मनिर्भर भारत और रणनीतिक खनिज मिशन को मिलेगा बल
पुनर्प्राप्त की गई सामग्रियों को घरेलू विनिर्माण क्षेत्र में दोबारा उपयोग में लाने से न केवल भारत की आयात निर्भरता में कमी आएगी, बल्कि यह कदम राष्ट्रीय रणनीतिक खनिज मिशन के उद्देश्यों को भी प्रत्यक्ष समर्थन प्रदान करेगा। इससे देश के स्वच्छ ऊर्जा संक्रमण को गति मिलेगी और भारत एक आत्मनिर्भर, स्वच्छ और सतत भविष्य की ओर तेजी से बढ़ सकेगा।
स्वच्छता से स्थिरता तक की यात्रा
विशेष अभियान 5.0 के माध्यम से खान मंत्रालय स्वच्छता को केवल सफाई तक सीमित नहीं रख रहा, बल्कि इसे स्थिरता और संसाधन पुनर्प्राप्ति से जोड़ते हुए ई-कचरे को एक रणनीतिक संसाधन में परिवर्तित कर रहा है। यह पहल न केवल पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, बल्कि भारत को तकनीकी रूप से सशक्त और संसाधन-संपन्न बनाने की दिशा में भी एक मील का पत्थर साबित होगी।
इस व्यापक प्रयास से सरकार का उद्देश्य है कि देश ई-कचरे के प्रबंधन में आत्मनिर्भर बने और इसके माध्यम से स्वच्छ, हरित और सशक्त भारत के निर्माण के अपने संकल्प को साकार करे।