7 अक्टूबर, 2025 को नई दिल्ली में भारतीय कारपोरेट कार्य संस्थान (IICA) द्वारा आयोजित “जनजातीय विकास के लिए सीएसआर उत्कृष्टता का लाभ” विषयक राष्ट्रीय सम्मेलन और प्रदर्शनी का समापन हुआ। यह कार्यक्रम कारपोरेट सामाजिक दायित्व (CSR) के माध्यम से आदिवासी कल्याण और सतत विकास को बढ़ावा देने पर केंद्रित था। सम्मेलन में सरकार, उद्योग, शिक्षा क्षेत्र और नागरिक समाज के 400 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया और राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप सीएसआर रणनीतियों के महत्व पर विचार-विमर्श किया।

दो दिवसीय सम्मेलन और सांस्कृतिक उद्घाटन
सम्मेलन का आयोजन महात्मा गांधी की जयंती के अवसर पर, देश के दूसरे वार्षिक सीएसआर दिवस के तहत किया गया। दो दिवसीय कार्यक्रम की शुरुआत आदिवासी संस्कृति और विरासत के उत्सव के साथ हुई, जो स्वदेशी परंपराओं की ताकत और सतत भविष्य के निर्माण में उनकी भूमिका को दर्शाती है। यह सांस्कृतिक कार्यक्रम सम्मेलन की थीम के अनुरूप सहयोग, नवाचार और समावेशी विकास को उजागर करता है।
सरकारी अधिकारियों के विचार
लोक उद्यम विभाग (DPE) के सचिव श्री के. मोसेस चलई ने अपने संबोधन में केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों (CPSE) से दीर्घकालिक और सतत CSR पहलों के माध्यम से आदिवासी समुदायों के साथ जुड़ाव बढ़ाने का आग्रह किया। उन्होंने “विकसित भारत 2047” के लक्ष्यों के अनुरूप आत्मनिर्भर जनजातीय अर्थव्यवस्थाओं के निर्माण में कौशल विकास, उद्यमिता और डिजिटल समावेशन की आवश्यकता पर बल दिया। श्री चलई ने स्पष्ट उद्देश्यों, मापनीय लक्ष्यों और प्रभावी नियोजन, निगरानी और परिणाम मूल्यांकन की आवश्यकता पर जोर देते हुए CPSE को राज्य और जिला प्रशासन, कारपोरेट और नागरिक समाज के साथ सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया।
कारपोरेट कार्य मंत्रालय की सचिव श्रीमती दीप्ति गौर मुखर्जी ने IICA की सराहना की और नीति निर्माताओं, उद्योगपतियों और सामुदायिक कार्यकर्ताओं को जोड़ने वाले सहयोगी मंच के निर्माण पर जोर दिया। उन्होंने पुनर्निर्मित CSR एक्सचेंज नामक इंटरैक्टिव डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म की रूपरेखा पेश की, जो सरकारी और कारपोरेट प्रयासों के बीच समन्वय को सुगम बनाएगा, परियोजनाओं का मानचित्रण करेगा और सहयोग के अवसरों की पहचान को सक्षम करेगा। श्रीमती मुखर्जी ने समुदायों की भागीदारी और स्थानीय नेतृत्व को मजबूत करने, सहभागी और समुदाय-स्वामित्व वाले मॉडलों को बढ़ावा देने पर विशेष जोर दिया।
डेटा-संचालित और परिणाम-उन्मुख CSR
भारतीय कारपोरेट कार्य संस्थान के महानिदेशक एवं CEO श्री ज्ञानेश्वर कुमार सिंह ने CSR को वित्तीय योगदान से परे ले जाने और तकनीकी, प्रबंधकीय विशेषज्ञता प्रदान करने के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि कुछ क्षेत्रों, विशेषकर पूर्वोत्तर, को अभी भी सीमित CSR निधि मिल रही है, इसलिए भौगोलिक रूप से संतुलित और आवश्यकता-आधारित क्रियाकलाप आवश्यक हैं। श्री सिंह ने सामुदायिक क्षमता निर्माण, तत्क्षण निगरानी, AI और डेटा एनालिटिक्स के उपयोग, मजबूत सरकारी-कारपोरेट सहयोग और निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी के माध्यम से टिकाऊ और दीर्घकालिक प्रभाव उत्पन्न करने पर बल दिया।
CSR को परिवर्तनकारी साधन बनाने का दृष्टिकोण
यूनिसेफ इंडिया के संसाधन संग्रहण एवं साझेदारी प्रमुख श्री बो बेस्कजेर ने CSR को केवल धर्मार्थ योगदान न मानते हुए इसे जनजातीय विकास के लिए परिवर्तनकारी साधन के रूप में देखा। उन्होंने कारपोरेट, सरकार और नागरिक समाज के बीच सह-निर्मित समाधानों पर जोर दिया और कहा कि CSR पहलों में गरिमा, समानता और समावेशिता सुनिश्चित करनी चाहिए। इससे जनजातीय बच्चों के स्वास्थ्य, शिक्षा और रोजगारपरक परिणामों में सुधार होगा और समावेशी विकास को बढ़ावा मिलेगा।
IICA स्कूल ऑफ बिजनेस एनवायरनमेंट की प्रमुख डॉ. गरिमा दाधीच ने CSR को जनजातीय सशक्तिकरण का रणनीतिक, डेटा-संचालित और प्रौद्योगिकी-एकीकृत साधन बनाने पर जोर दिया। उन्होंने ऐसे परियोजना डिजाइन की वकालत की जो सामाजिक-सांस्कृतिक संदर्भों का सम्मान करें, पारंपरिक शिल्प और जीआई-टैग वाले उत्पादों को बढ़ावा दें और दीर्घकालिक प्रभाव सुनिश्चित करें।
भागीदारों और सहयोगियों की भूमिका
डॉ. दाधीच ने धन्यवाद ज्ञापन में कारपोरेट कार्य मंत्रालय, जनजातीय कार्य मंत्रालय, पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास मंत्रालय, सार्वजनिक उद्यम विभाग और प्रमुख भागीदारों जैसे एचसीएल फाउंडेशन, ट्राइफेड, गेल इंडिया लिमिटेड, पार्टनर्स इन चेंज, इंडियन ऑयल, अमृता विश्व विद्यापीठम, यूनिसेफ, स्पार्क मिंडा फाउंडेशन का आभार व्यक्त किया। इसके अलावा उन्होंने 34 प्रदर्शकों, प्रतिभागियों और IICA कोर टीम के योगदान की सराहना की।