भारत ने एक बार फिर वैश्विक खेल मंच पर अपने दमखम और नई ऊर्जा का परिचय दिया है। नई दिल्ली में आयोजित विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 में भारतीय पैरा एथलीटों ने अपने प्रदर्शन से न केवल देश का नाम ऊँचा किया, बल्कि नए भारत की जुझारू और आत्मविश्वासी भावना का सशक्त प्रदर्शन भी किया।

भारत ने इस प्रतिष्ठित प्रतियोगिता में 22 पदक—6 स्वर्ण, 9 रजत और 7 कांस्य—जीतकर इतिहास रच दिया और कुल मिलाकर 10वां स्थान हासिल किया। यह अब तक किसी भी विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।
सम्मान समारोह: नए भारत के पावर एथलीटों का गौरवपूर्ण क्षण
केंद्रीय युवा कार्यक्रम एवं खेल मंत्री तथा श्रम एवं रोजगार मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया ने नई दिल्ली में एक विशेष समारोह में पदक विजेता पैरा एथलीटों को सम्मानित किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा, “आप पैरा एथलीट नहीं, बल्कि भारत के पावर एथलीट हैं। आपने न केवल देश को गौरव दिलाया है, बल्कि देशभर के दिव्यांगजनों को प्रेरित करने वाला संदेश भी दिया है। आपने यह साबित किया है कि साहस और आत्मविश्वास किसी भी सीमा को पार कर सकते हैं।”
खेल मंत्रालय के खेल विभाग ने पैरा एथलीटों को 1.09 करोड़ रुपये से अधिक की पुरस्कार राशि प्रदान की। डॉ. मांडविया ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी स्वयं इन एथलीटों के प्रदर्शन में गहरी रुचि रखते हैं और उन्होंने प्रतियोगिताओं के दौरान टीवी पर मैच देखकर उनका उत्साहवर्धन किया।
उन्होंने आगे कहा, “भारत के प्रधानमंत्री ने जिस नए भारत का सपना दिखाया है, आप सभी ने उसी भावना को साकार किया है। आपने दिखाया है कि जब संकल्प मज़बूत हो, तो व्हीलचेयर भी पंख बन सकती है।”
भारत में सबसे सफल पैरा-खेल आयोजन
नई दिल्ली स्थित जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित विश्व पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2025 को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सबसे सफल आयोजन बताया गया है। इस प्रतियोगिता में 100 देशों के 2,100 से अधिक खिलाड़ी शामिल हुए और कुल 186 पदक स्पर्धाओं में भाग लिया।
यह आयोजन भारत के लिए एक ऐतिहासिक उपलब्धि रहा, जिसने न केवल खेल सुविधाओं के उच्च मानक स्थापित किए, बल्कि भारत को वैश्विक पैरा-खेलों की मेजबानी में एक अग्रणी राष्ट्र के रूप में स्थापित किया।
भारतीय पैरालंपिक समिति की सराहना और सहयोग की भावना
भारतीय पैरालंपिक समिति (पीसीआई) के अध्यक्ष देवेंद्र झाझरिया ने इस अवसर पर कहा कि , “खेल मंत्रालय और भारतीय खेल प्राधिकरण (एसएआई) ने हमें एक परिवार की तरह सहयोग दिया। डब्ल्यूपीए ने इस आयोजन की सफल मेजबानी के लिए भारत को एक विशेष ट्रॉफी प्रदान की है। यह हमारे लिए गर्व का विषय है कि अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं ने हमारी मेजबानी की प्रशंसा की।”
उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में भारत ऐसे और आयोजनों की मेजबानी के लिए तैयार है।
अंतर्राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति (IPC) के अध्यक्ष एंड्रयू पार्सन्स और विश्व पैरा एथलेटिक्स (WPA) के अध्यक्ष पॉल फ्रिट्ज़राल्ड ने भी भारत की व्यवस्थाओं की सराहना करते हुए कहा कि, “एथलीटों को दी गई सुविधाओं का स्तर और प्रतियोगिता का संचालन विश्व स्तरीय था। भारत ने दिखा दिया है कि वह पैरा-खेलों के क्षेत्र में संगठन, तकनीकी प्रबंधन और सुविधाओं के मामले में किसी भी विकसित देश से कम नहीं है।”
एथलीटों की प्रतिक्रिया: ‘मोंडो ट्रैक ने दिया पंख’
भारत के एथलीटों ने इस आयोजन की सराहना करते हुए कहा कि जेएलएन स्टेडियम में तैयार किया गया मोंडो ट्रैक उनकी सफलता में एक बड़ा कारक रहा।
भाला फेंक में स्वर्ण पदक विजेता सुमित अंतिल ने कहा, “वार्म-अप और प्रतियोगिता क्षेत्र में मोंडो ट्रैक शानदार था। होटल, परिवहन, और स्थानीय स्वयंसेवकों की मदद ने हमें सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने में मदद की।”
भारत के पहले स्वर्ण पदक विजेता शैलेश कुमार (बिहार) ने कहा, “यह आयोजन बेहद शानदार था। मैं पहले दिन थोड़ा नर्वस था, लेकिन अच्छी तैयारी, घरेलू समर्थन और उत्कृष्ट सुविधाओं ने आत्मविश्वास बढ़ाया। जिम और फिटनेस सेंटर ने प्रशिक्षण में मदद की।”
दोहरी पदक विजेता प्रीति पाल ने आयोजन के मेडिकल सेंटर की प्रशंसा करते हुए कहा, “मेडिकल रूम ने हमें दौड़ों के बीच में रिकवरी का मौका दिया। विशेष रूप से बर्फ़ से स्नान (आइस बाथ) हमारे लिए बहुत लाभदायक साबित हुआ।”
‘दिव्यांगता से दृढ़ संकल्प तक’: नई सोच का प्रतीक
डॉ. मांडविया ने एथलीटों की भावना की प्रशंसा करते हुए कहा कि इन खिलाड़ियों ने दिव्यांगता को दृढ़ संकल्प में बदलने का जीवंत उदाहरण प्रस्तुत किया है। “यह साहस की एक नई परिभाषा है जो आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती रहेगी। आपने केवल पदक नहीं जीते, बल्कि पूरे राष्ट्र का दिल जीत लिया है।”