केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री श्री जे.पी. नड्डा ने आज अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नई दिल्ली के 50वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए संस्थान के उत्कृष्ट योगदान की सराहना की। इस अवसर पर उन्होंने भारत की उभरती चिकित्सा शिक्षा प्रणाली, स्वास्थ्य सेवा क्षेत्र में प्रगति और एम्स जैसे संस्थानों की अहम भूमिका पर विस्तार से चर्चा की।

एम्स की उपलब्धियों को दी सराहना
अपने संबोधन में श्री नड्डा ने स्नातक छात्रों को बधाई देते हुए कहा कि एम्स ने चिकित्सा विज्ञान, शिक्षा और रोगी देखभाल के क्षेत्र में न केवल भारत में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपनी विशिष्ट पहचान बनाई है। उन्होंने कहा कि एम्स में गुणवत्ता, अनुसंधान और नैतिक चिकित्सा सेवा का जो समन्वय देखने को मिलता है, वह विश्वभर में अनुकरणीय है।
श्री नड्डा ने कहा, “चिकित्सा विज्ञान, प्रशिक्षण और स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में राजधानी दिल्ली स्थित एम्स ने भारत को विश्व मानचित्र पर एक नई पहचान दिलाई है। यह संस्थान उत्कृष्टता का प्रतीक है, जिसने शिक्षा, अनुसंधान और रोगी सेवा के क्षेत्र में निरंतर अग्रणी भूमिका निभाई है।”
भारत में चिकित्सा शिक्षा का विस्तार
केंद्रीय मंत्री ने अपने संबोधन में बताया कि पिछले एक दशक में भारत ने चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। उन्होंने कहा कि जहां पिछली सदी के अंत तक देश में केवल एक एम्स था, वहीं आज देशभर में 23 एम्स संस्थान स्थापित हो चुके हैं। यह सरकार की इस प्रतिबद्धता का प्रमाण है कि गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा और मेडिकल शिक्षा को देश के हर क्षेत्र तक पहुँचाया जाए।
उन्होंने कहा कि पिछले 11 वर्षों में भारत में मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 से बढ़कर 819 हो गई है। स्नातक मेडिकल सीटें 51,000 से बढ़कर 1,29,000 और स्नातकोत्तर सीटें 31,000 से बढ़कर 78,000 तक पहुँच गई हैं। श्री नड्डा ने बताया कि अगले पाँच वर्षों में 75,000 अतिरिक्त मेडिकल सीटें जोड़ने की दिशा में सरकार कार्यरत है, जिससे देश में डॉक्टरों की संख्या और बढ़ेगी।
स्वास्थ्य संकेतकों में उल्लेखनीय सुधार
श्री नड्डा ने मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य के क्षेत्र में भारत की उपलब्धियों पर विशेष प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि नमूना पंजीकरण प्रणाली (SRS) के अनुसार देश की मातृ मृत्यु दर (MMR) 130 से घटकर 88 हो गई है, जबकि शिशु मृत्यु दर (IMR) 39 से घटकर 27 हो गई है। इसी प्रकार, पाँच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु दर (U5MR) और राष्ट्रीय मृत्यु दर (NMR) में क्रमशः 42% और 39% की कमी दर्ज की गई है, जो वैश्विक औसत से बेहतर है।

उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार भारत में टीबी (क्षयरोग) के मामलों में 17.7 प्रतिशत की कमी आई है, जो देश के स्वास्थ्य क्षेत्र में प्रगति का प्रतीक है।
नवाचार और नैतिकता पर बल
केंद्रीय मंत्री ने युवा डॉक्टरों से कहा कि वे सहानुभूति के साथ सेवा करें, चिकित्सा नैतिकता के सर्वोच्च मानकों को बनाए रखें और देश की उभरती स्वास्थ्य सेवा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नवाचार को अपनाएँ। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे “जीवनभर सीखते रहने वाले” और “समाज की सेवा के प्रति समर्पित” चिकित्सक बनें।
अपने समापन भाषण में श्री नड्डा ने कहा, “आप एम्स की उस गौरवशाली परंपरा के वाहक हैं, जिसने चिकित्सा शिक्षा और सेवा में उत्कृष्टता की पहचान बनाई है। आप सभी से अपेक्षा है कि आप अपने आचरण, ज्ञान और शोध के माध्यम से इस संस्थान की प्रतिष्ठा को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाएँ।”
नीति आयोग के सदस्य प्रो. वी.के. पॉल का संदेश
इस अवसर पर नीति आयोग के सदस्य प्रो. वी.के. पॉल ने भी छात्रों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि समाज को लौटाना प्रत्येक नागरिक की गहन सामाजिक ज़िम्मेदारी है। उन्होंने कहा, “जिस समुदाय ने हमें पोषित किया है, उसे कुछ लौटाना हमारा कर्तव्य है। जैसे-जैसे आप आगे बढ़ते हैं, उत्कृष्टता को अपना दैनिक अभ्यास और नवाचार को अपना मार्गदर्शक सिद्धांत बनाएँ।”
उन्होंने स्नातक डॉक्टरों से शिक्षा जगत में सक्रिय भूमिका निभाने, अगली पीढ़ी के स्वास्थ्य पेशेवरों को प्रेरित करने और ‘विकसित भारत’ के निर्माण में योगदान देने का आग्रह किया। प्रो. पॉल ने कहा कि “सच्चा राष्ट्र निर्माण ज्ञान, करुणा और सतत् सीखने की मजबूत नींव पर आधारित होता है।”
एम्स दीक्षांत समारोह के मुख्य आकर्षण
इस भव्य समारोह में कुल 326 स्नातकों को उपाधियाँ प्रदान की गईं, जिनमें:
- 50 पीएचडी स्कॉलर,
- 95 डीएम/एमसीएच विशेषज्ञ,
- 69 एमडी,
- 15 एमएस,
- 4 एमडीएस,
- 45 एमएससी,
- 30 एमएससी (नर्सिंग) और
- 18 एम.बायोटेक स्नातक शामिल थे।
इसके अतिरिक्त, एम्स में अपने अनुकरणीय योगदान और समर्पित सेवा के लिए सात वरिष्ठ डॉक्टरों को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया गया।