जल शक्ति मंत्रालय के पेयजल एवं स्वच्छता विभाग (डीडीडब्ल्यूएस) ने ‘जिला कलेक्टरों के पेयजल संवाद’ के दूसरे संस्करण का सफल आयोजन किया। यह संवाद एक राष्ट्रीय पहल है, जिसका उद्देश्य स्थानीय शासन को सशक्त बनाना, जल स्रोतों की स्थिरता सुनिश्चित करना, और जल जीवन मिशन (जेजेएम) के तहत ग्रामीण जल सेवा वितरण में जवाबदेही व दक्षता को बढ़ावा देना है।

यह कार्यक्रम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता राष्ट्रीय जल जीवन मिशन (एनजेजेएम) के अपर सचिव एवं मिशन निदेशक श्री कमल किशोर सोन ने की। इस अवसर पर संयुक्त सचिव श्रीमती स्वाति मीना नाइक, वरिष्ठ अधिकारी, देश भर के जिला कलेक्टर/जिला मजिस्ट्रेट, राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के मिशन निदेशक और राज्य मिशन टीमें शामिल हुईं। कार्यक्रम में 800 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया।
संवाद का उद्देश्य और पृष्ठभूमि
‘जिला कलेक्टरों का पेयजल संवाद’ श्रृंखला, डीडीडब्ल्यूएस की एक सतत पहल है, जो जल जीवन मिशन के अंतर्गत विकेन्द्रीकृत जल प्रबंधन और स्थानीय शासन को मजबूत करने पर केंद्रित है। इसके पहले संस्करण (14 अक्टूबर 2025) में जिलों को डिजिटल उपकरणों, जवाबदेही तंत्रों और सहकर्मी शिक्षण के माध्यम से सशक्त बनाने पर जोर दिया गया था।
दूसरे संस्करण का फोकस स्रोत स्थिरता (Source Sustainability) पर रहा। इसमें डेटा-आधारित नियोजन, कानूनी सुरक्षा उपायों, और मनरेगा के साथ अभिसरण जैसे पहलुओं पर चर्चा की गई, ताकि एक जिला-नेतृत्व वाला, समुदाय-आधारित जल शासन मॉडल विकसित किया जा सके।
मिशन निदेशक ने बताए अगले कदम
अपने उद्घाटन भाषण में, श्री कमल किशोर सोन, एएस एवं एमडी (एनजेजेएम) ने जिला कलेक्टरों के निरंतर प्रयासों की सराहना की और कहा कि जेजेएम के तहत जिला प्रशासन की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। उन्होंने मिशन के अगले चरण के लिए दो प्रमुख प्राथमिकताओं पर बल दिया —
- स्रोत स्थिरता के लिए मनरेगा के साथ अभिसरण – जिलों से आग्रह किया गया कि वे 23 सितंबर 2025 की अधिसूचना के अनुरूप पुनर्भरण, जल संचयन और स्रोत संरक्षण के लिए मनरेगा के अंतर्गत जल-संबंधी कार्यों पर प्राथमिकता दें।
- बुनियादी ढांचे की सुरक्षा के लिए नियामक तंत्र – 27 अक्टूबर 2025 के संचार के हवाले से उन्होंने संरक्षित पेयजल क्षेत्रों की स्थापना, गश्त और निरीक्षण प्रोटोकॉल लागू करने तथा ग्राम जल और स्वच्छता समितियों (VWSC) को सशक्त बनाने की आवश्यकता बताई।
उन्होंने कहा कि स्थायी जल सेवा वितरण का आधार डेटा-समर्थित निर्णय, स्थानीय स्वामित्व, और निवारक शासन दृष्टिकोण है।
स्रोत स्थिरता पर निर्णय सहायता प्रणाली (DSS) की प्रस्तुति
श्री वाई.के. सिंह, निदेशक (एनजेजेएम), ने बताया कि जेजेएम का अगला चरण जल स्रोतों की दीर्घकालिक स्थिरता पर केंद्रित होगा। उन्होंने कहा कि अब तक 81.21% ग्रामीण घरों तक नल का जल पहुँच चुका है, किंतु 85% पेयजल आपूर्ति अभी भी भूजल पर निर्भर है। उन्होंने कहा कि स्थायी जल स्रोत ही स्थायी नल कनेक्शन की नींव हैं।
संयुक्त सचिव श्रीमती स्वाति मीना नाइक ने इस अवसर पर बीआईएसएजी-एन के सहयोग से विकसित निर्णय सहायता प्रणाली (Decision Support System – DSS) का शुभारंभ किया। यह एक डिजिटल नियोजन और निर्णय-निर्माण ढांचा है, जो राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को पेयजल स्रोतों की वैज्ञानिक योजना, मूल्यांकन और सुरक्षा में सहायता करेगा।
इस प्रणाली के माध्यम से भूजल पुनर्भरण, जलवायु, जलभूगोल, और स्थानिक आँकड़ों को एकीकृत करके जिला-स्तरीय स्रोत स्थिरता कार्य योजनाएं (DSSAP) तैयार की जा सकेंगी।
श्रीमती अंकिता चक्रवर्ती, उप सचिव (एनजेजेएम), ने DSS पोर्टल का डेमो प्रस्तुत किया और बताया कि यह प्रणाली रीयल-टाइम ट्रैकिंग, जियो-टैगिंग, और PM गति शक्ति प्लेटफॉर्म के साथ एकीकृत जल नियोजन को संभव बनाती है।
जिला स्तर की सर्वोत्तम प्रथाएँ
कार्यक्रम में पांच जिलों — गढ़चिरौली (महाराष्ट्र), हमीरपुर (हिमाचल प्रदेश), डांग (गुजरात), बारामूला (जम्मू-कश्मीर), और बोकारो (झारखंड) — ने अपने नवीन प्रयासों की प्रस्तुतियाँ दीं।
- गढ़चिरौली (महाराष्ट्र): पाइप जलापूर्ति और सौर ऊर्जा आधारित लघु योजनाओं के माध्यम से एफएचटीसी कवरेज 8.37% से बढ़कर 93% हुआ।
- हमीरपुर (हिमाचल प्रदेश): सभी ग्राम पंचायतों में “हर घर जल” उपलब्ध, महिला एफटीके परीक्षकों द्वारा नियमित निगरानी सुनिश्चित।
- डांग (गुजरात): महिला जल समितियों द्वारा नेतृत्वित जल प्रबंधन मॉडल, जिससे संचालन और राजस्व संग्रह दक्षता में सुधार हुआ।
- बारामूला (जम्मू-कश्मीर): कठिन भूभाग के बावजूद 6,600 किमी पाइपलाइन और 391 जलाशयों के साथ 75,000 लोगों तक स्वच्छ जल पहुंचाया।
- बोकारो (झारखंड): महिला “जल सहिया” मॉडल ने संचालन, जल परीक्षण और वित्तीय पारदर्शिता में उत्कृष्ट उदाहरण प्रस्तुत किया।
इन सभी जिलों के नवाचारों की विभाग ने सराहना की और कहा कि ये सामुदायिक भागीदारी, प्रौद्योगिकी एकीकरण, और विकेन्द्रीकृत शासन के उत्कृष्ट उदाहरण हैं।
संवाद का उद्देश्य
‘जिला कलेक्टरों का पेयजल संवाद’ श्रृंखला, जिला प्रशासकों के लिए एक राष्ट्रीय ज्ञान-साझाकरण मंच के रूप में कार्य करती है। इसका उद्देश्य जल जीवन मिशन के तहत लागू सर्वोत्तम प्रथाओं का आदान-प्रदान, सामूहिक शिक्षा को प्रोत्साहन, और ग्रामीण भारत में दीर्घकालिक जल सुरक्षा व सतत सेवा वितरण सुनिश्चित करना है।
इस संवाद श्रृंखला के माध्यम से केंद्र सरकार स्थानीय शासन को और अधिक सक्षम बना रही है ताकि भारत का हर ग्रामीण घर स्वच्छ, सुरक्षित और स्थायी पेयजल आपूर्ति से जुड़ सके।