नशे का बढ़ता प्रचलन एवं घातक कारोबार – एक गंभीर अलार्म

भारत में नशीले पदार्थों का बढ़ता प्रचलन एवं बढ़ता घातक कारोबार आज एक भयावह राष्ट्रीय संकट बन चुका है। आये दिन विभिन्न राज्यों में नशीले पदार्थों की बड़ी-बड़ी खेप बरामद होना इस संकट की भयावह तस्वीर उकेरता है। यह समस्या किसी एक राज्य या किसी सीमित क्षेत्र की नहीं रही, बल्कि हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तराखंड, हिमाचल, दिल्ली, महाराष्ट्र सहित पूरे देश में यह अपने विकराल रूप में फैल चुकी है। विशेष रूप से किशोर और युवा पीढ़ी जिस तेजी से नशे की गिरफ्त में जा रही है, वह एक खतरनाक भविष्य की चेतावनी है। नशा आज केवल व्यक्तिगत बीमारी नहीं, बल्कि सामाजिक विनाश की प्रस्तावना बन चुका है। अंधेरी गलियों में भटकते युवा, परिवारों का टूटता संतुलन, अपराधों में वृद्धि और जीवन मूल्यों का क्षरण-ये सब नशे की महामारी के दुष्परिणाम हैं।

अब वयस्क ही नहीं, किशोर भी नशे की चपेट में आ रहे हैं। फिर वे अपने नशे के लिए पैसा जुटाने के लिये अपराध की गलियों गुम होते जा रहे है, तरह-तरह के अपराध कर रहे हैं। हाल ही के कुछ गंभीर अपराधों का खुलासा होने पर किशोरों ने स्वीकार किया कि वे नशे हेतु पैसा जुटाने के लिए अपराध करने निकले थे। कमोबेश, ऐसा ही संकट नकली दवाइयों की आपूर्ति का भी है। पिछले दिनों देश के कई राज्यों में घातक कफ सिरप पीने से कई बच्चे अपनी जान गंवा बैठे। इस आसन्न संकट को महसूस करते हुए नकली दवाइयों और मादक पदार्थों पर अंकुश लगाने के लिए सात राज्यों के ड्रग्स कंट्रोलरों, पुलिस और सीआईडी अधिकारियों का एक महत्वपूर्ण सम्मेलन चंडीगढ़ में आयोजित किया गया, जिसका मकसद इन अधिकारियों को एक मंच पर लाकर कार्रवाई को अधिक कारगर बनाना था। यह स्वागत योग्य है कि देश में पहली बार सात राज्यों ने इस संकट को महसूस करते हुए इस दिशा में साझी पहल की। निश्चित ही यह सम्मेलन इस घातक एवं गंभीर होती समस्या के समाधान में रोशनी बनेगा।

नशीले पदार्थों व नकली दवाइयों का कारोबार मात्र एक राज्य की समस्या नहीं है, बल्कि इससे कई राष्ट्रीय मुद्दे भी जुड़े हैं। पंजाब व देश के समुद्री सीमा से जुड़े राज्यों में नशीले पदार्थों की जो बड़ी खेपें बरामद हुई हैं, उसने पूरे देश की चिंता बढ़ाई है। सवाल यह भी उठा है कि यदि नशीले पदार्थों की इतनी बड़ी मात्रा बरामद हुई है तो चोरी-छिपे कितनी बड़ी मात्रा में नशीला पदार्थ देश में पहुंच रहा होगा। पंजाब के सीमावर्ती जिलों में सीमा पार से ड्रोन के जरिये लगातार नशीले पदार्थ व हथियार भेजने के मामले प्रकाश में आए हैं। हाल के वर्षों में सामने आए आंकड़े बताते हैं कि ड्रग व्यापार अब किसी सीमित भौगोलिक दायरे तक सीमित नहीं रहा। पंजाब, जिसकी आबादी देश की कुल आबादी का मात्र ढाई प्रतिशत है, वहां से देश में बरामद होने वाली हेरोइन का लगभग आधा हिस्सा पकड़ा गया है।

यह अकेला तथ्य बताने के लिए पर्याप्त है कि नशीले पदार्थों का नेटवर्क कितना गहरा, विस्तृत और संगठित हो चुका है। हरियाणा की सीमावर्ती जिलों में पिछले पाँच वर्षों के दौरान राज्य के कुल ड्रग मामलों का लगभग नब्बे प्रतिशत भाग सामने आया है, जो स्पष्ट संकेत देता है कि तस्करी का रास्ता राज्यों की सीमाओं से गुजर कर पूरे समाज में फैलता जा रहा है। इसी प्रकार राष्ट्रव्यापी सर्वेक्षण बताते हैं कि नशे की आदत अब केवल युवाओं तक सीमित नहीं, बल्कि लाखों बच्चे और किशोर और विशेषतः महिलाएं-युवतियां विभिन्न नशीली वस्तुओं के संपर्क में आ चुकी हैं। यह स्थिति सिर्फ चिंता का विषय नहीं, बल्कि राष्ट्र की अगली पीढ़ी के भविष्य को लेकर गंभीर चेतावनी है। नशे की गिरफ्त में फंसकर बच्चे और युवा मानसिक, शारीरिक, सामाजिक और शैक्षणिक जीवन में बुरी तरह पिछड़ रहे हैं। परिवार टूट रहे हैं, आर्थिक स्थिति बिगड़ रही है, और अपराधों का ग्राफ निरंतर बढ़ता जा रहा है। नशे की वजह से चोरी, लूट, हिंसा, हत्या और यौन अपराध तक बढ़ते जा रहे हैं।

समस्या का यह दूसरा पहलू भी उतना ही भयावह है कि नशे का व्यापार अब सामान्य चोरी-छिपे किए जाने वाला धंधा नहीं रहा, बल्कि विशाल और संगठित तस्करी-तंत्र में बदल चुका है। ड्रोन के माध्यम से ड्रग तस्करी, अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क, नकली दवाओं का उत्पादन, कफ सिरप व अन्य औषधियों के दुरुपयोग का व्यापक कारोबार-ये सभी संकेत हैं कि नशा भारत के सामाजिक ढांचे को दीमक की तरह खोखला कर रहा है। ड्रग माफिया, अपराधी गिरोह, भ्रष्ट तंत्र एवं पडोसी देश मिलकर एक ऐसी समानांतर व्यवस्था चला रहे हैं, जो कानून, नैतिकता और मानवीय जीवन के लिए बेहद खतरनाक है। चंडीगढ़ में आयोजित महत्वपूर्ण सम्मेलन में कई ऐसे तथ्य सामने आए जिन्होंने सभी को हिला दिया। यह स्पष्ट रूप से महसूस किया गया कि अब नशे के खिलाफ लड़ाई किसी एक राज्य की जिम्मेदारी नहीं बल्कि पूरे राष्ट्र की प्राथमिकता है। राजस्थान, उत्तराखंड, हिमाचल, दिल्ली, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी इस बात पर सहमत दिखे कि यदि अब भी सख्त और संगठित कदम नहीं उठाए गए तो आने वाले वर्षों में हालात और भयावह हो सकते हैं। यह कहना अतिशयोक्ति नहीं कि नशे का यह संकट भारत की सामाजिक संरचना, युवाशक्ति और राष्ट्रीय प्रगति को गहरी चोट पहुँचा रहा है।

इस अनियंत्रित होते भयावह संकट को रोकने के लिए सरकार, पुलिस, न्याय तंत्र, समाज और परिवार-सबको मिलकर सामूहिक प्रयास करने होंगे। सिर्फ कानून बनाकर और कभी-कभार छापामारी करके इस समस्या का समाधान संभव नहीं। सबसे पहले कानूनों को मजबूत करने और उनके कठोर क्रियान्वयन की आवश्यकता है। ड्रग तस्करी, नकली दवाइयों का निर्माण और अवैध वितरण के खिलाफ ऐसी दंडात्मक व्यवस्था होनी चाहिए कि अपराधी इसके परिणामों से भयभीत हों। मौजूदा समय में कई बार अपराधी मामूली सजा या जमानत पर छूट जाते हैं, जिससे उनका मनोबल बढ़ता है और अवैध कारोबार और तेजी से फैलता है। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि कानून कठोर हों और उनका पालन बिना किसी समझौते के हो। दूसरा महत्वपूर्ण क्षेत्र है-नशामुक्ति और पुनर्वास। नशे की गिरफ्त में आए लोग सिर्फ अपराधी नहीं, बल्कि पीड़ित भी हैं। परिवार, समाज और सरकार को उन्हें समझना, सहारा देना और पुनर्वास का रास्ता उपलब्ध कराना आवश्यक है। देश में नशामुक्ति केंद्रों की संख्या बढ़ रही है, लेकिन उनकी गुणवत्ता, सुविधाओं, चिकित्सा सहायता, काउंसलिंग और पुनर्वास कार्यक्रमों को और मजबूत करने की जरूरत है। नशे से बाहर आने वाले व्यक्ति को नये जीवन की शुरुआत के लिए सामाजिक सम्मान, परिवार का सहयोग और रोजगार के अवसर मिलना आवश्यक है; वरना वे दोबारा उसी अंधेरी राह में लौट जाते हैं।

यह समय चेतावनी का समय है। यदि आज हमने नशे की इस राष्ट्रीय महामारी को गंभीरता से नहीं लिया, तो आने वाली पीढ़ियाँ हमें माफ नहीं करेंगी। नशा मानवता का शत्रु है। यह युवा शक्ति को अंधेरे में धकेलता है, परिवारों को तोड़ता है, राष्ट्र की प्रगति को रोकता है। इसलिए आज एक ही संकल्प होना चाहिए कि नशे के खिलाफ इस लड़ाई को हम केवल सरकारी प्रयासों पर न छोड़ें, बल्कि इसे अपनी सामूहिक जिम्मेदारी मानें। सरकार से यही अपेक्षा है कि वह नशीली दवाओं और मादक पदार्थों के खिलाफ अधिक कठोर, अधिक पारदर्शी और अधिक प्रभावी नीति बनाए तथा उसका निष्ठापूर्वक पालन सुनिश्चित करे। समाज से यही अपेक्षा है कि वह नशे को शर्म का नहीं, जागरूकता और उपचार का विषय बनाए। और युवाओं से यही निवेदन है कि वे समझें-नशा न शक्ति देता है, न सुख; यह केवल जीवन और भविष्य को छीन लेता है। अब समय आ गया है कि भारत नशे के इस संकट को रोकने के लिए एकजुट होकर निर्णायक कदम उठाए। यही राष्ट्रहित है, यही समाजहित है और यही मानवता के भविष्य की रक्षा है।

ललित गर्ग लेखक, पत्रकार, स्तंभकार
ललित गर्ग लेखक, पत्रकार, स्तंभकार
आपका सहयोग ही हमारी शक्ति है! AVK News Services, एक स्वतंत्र और निष्पक्ष समाचार प्लेटफॉर्म है, जो आपको सरकार, समाज, स्वास्थ्य, तकनीक और जनहित से जुड़ी अहम खबरें सही समय पर, सटीक और भरोसेमंद रूप में पहुँचाता है। हमारा लक्ष्य है – जनता तक सच्ची जानकारी पहुँचाना, बिना किसी दबाव या प्रभाव के। लेकिन इस मिशन को जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की आवश्यकता है। यदि आपको हमारे द्वारा दी जाने वाली खबरें उपयोगी और जनहितकारी लगती हैं, तो कृपया हमें आर्थिक सहयोग देकर हमारे कार्य को मजबूती दें। आपका छोटा सा योगदान भी बड़ी बदलाव की नींव बन सकता है।
Book Showcase

Best Selling Books

The Psychology of Money

By Morgan Housel

₹262

Book 2 Cover

Operation SINDOOR: The Untold Story of India's Deep Strikes Inside Pakistan

By Lt Gen KJS 'Tiny' Dhillon

₹389

Atomic Habits: The life-changing million copy bestseller

By James Clear

₹497

Never Logged Out: How the Internet Created India’s Gen Z

By Ria Chopra

₹418

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Translate »