काशी और तमिलनाडु के प्राचीन सांस्कृतिक संबंधों को और अधिक सुदृढ़ बनाने की दिशा में ‘काशी तमिल संगमम् 4.0’ ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। 02 दिसंबर को नमो घाट, वाराणसी में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय की इकाई केंद्रीय संचार ब्यूरो द्वारा लगाई गई विशेष प्रदर्शनी का उद्घाटन केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण तथा संसदीय कार्य राज्य मंत्री डॉ. एल. मुरुगन ने किया। यह प्रदर्शनी “काशी एवं तमिल की संस्कृति, महान व्यक्तित्वों एवं केंद्र सरकार की जनकल्याणकारी नीतियों” विषय पर केंद्रित है।

उद्घाटन के अवसर पर डॉ. मुरुगन ने अपने संबोधन में कहा कि ‘काशी तमिल संगमम्’ प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक एवं राष्ट्रीय एकता उन्मुख पहल है, जिसका उद्देश्य काशी और तमिल सभ्यता के बीच बहुल सदियों से कायम संबंधों की पुनर्स्थापना और सुदृढ़ीकरण करना है। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों से न केवल दोनों क्षेत्रों की सांस्कृतिक समझ विकसित होती है, बल्कि राष्ट्र की एकता और अखंडता भी मजबूत होती है।
उन्होंने बताया कि इस वर्ष का विषय ‘तमिल करकलाम’ रखा गया है, जिसका अर्थ है ‘आइए तमिल सीखें’। यह विषय केवल भाषा-प्रचार तक सीमित नहीं है, बल्कि पारस्परिक विरासत, साहित्य, कला और सामाजिक दर्शन के आदान-प्रदान का प्रतीक है।
कार्यक्रम के दौरान डॉ. मुरुगन ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में किए गए जीएसटी सुधारों और श्रम कानून सुधारों का देश की आम जनता को प्रत्यक्ष लाभ मिला है। कर ढांचे में लचीलापन और पारदर्शिता को बढ़ावा मिला है, जिसके परिणामस्वरूप आर्थिक गतिविधियां सुचारू हुई हैं और जनकल्याणकारी उपायों का प्रभाव समाज के निचले स्तर तक पहुंचा है।
प्रदर्शनी में ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महापुरुषों के योगदान का सुव्यवस्थित प्रदर्शन केंद्रीय संचार ब्यूरो द्वारा प्रदर्शित सामग्री अपने आप में काशी और तमिलनाडु की बौद्धिक और आध्यात्मिक विरासत का संपूर्ण लेखाजोखा प्रस्तुत करती है।
तमिलनाडु से प्रदर्शित महान विभूतियों में प्रमुख रूप से शामिल हैं:
- ऋषि अगस्त्य
- संत कवयित्री अव्वैयार
- संत तिरुवल्लुवर
- कारैकल अम्माइयार
- संत अंडाल (कोधाई)
- तमिल कवि और समाज सुधारक श्री रामलिंग स्वामी (वल्लालर)
- विद्वान यू. वी. स्वामीनाथ अय्यर
- स्वतंत्रता सेनानी और महिला नेतृत्व की प्रतीक डॉ. मुथुलक्ष्मी रेड्डी
- गणितज्ञ श्रीनिवास रामानुजन
- उद्योगपति जी.डी. नायडू
- खगोल भौतिकशास्त्री सुब्रह्मण्यन चंद्रशेखर
- वैज्ञानिक डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन
- डॉ. ए. पी. जे. अब्दुल कलाम
- नोबेल पुरस्कार विजेता वेंकटरामन रामकृष्णन
- चक्रवर्ती राजगोपालाचारी
- दार्शनिक डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन
- सी. वी. रमन
- के. कामराज
- चिदंबरम सुब्रमण्यम
- एम. जी. रामचंद्रन
वहीं काशी से संबंधित प्रदर्शनी में प्रस्तुत प्रमुख व्यक्तित्व शामिल हैं:
- संत कबीरदास
- संत रविदास
- पंडित मदन मोहन मालवीय
- उस्ताद बिस्मिल्लाह खान
- पंडित रविशंकर
- साहित्यकार जयशंकर प्रसाद
इन सभी विभूतियों के जीवन दर्शन, कार्य, विचारों और राष्ट्र-निर्माण में उनके योगदान को इस प्रदर्शनी में दृश्य-प्रस्तुति और सारगर्भित विवरणों के माध्यम से प्रस्तुत किया गया है। सरकारी नीतियों और सुधारों की जानकारी भी प्रदर्शनी के केंद्र में इस प्रदर्शनी की एक विशेषता यह भी है कि इसमें केंद्र सरकार की प्रमुख नीतियों और वर्तमान आर्थिक सुधारों को भी सहज और आमजन की भाषा में प्रस्तुत किया गया है। प्रदर्शनी में जीएसटी के अंतर्गत कर-नीतियों में हुए परिवर्तनों, श्रम सुधार कानूनों, तथा जनकल्याणकारी योजनाओं को तथ्यात्मक आधार पर समझाया गया है।
यह प्रदर्शनी 15 दिसंबर तक आम जनता के दर्शन एवं अवलोकन हेतु खुली रहेगी, ताकि स्थानीय नागरिकों, विद्यार्थियों, शोधकर्ताओं तथा आगंतुक पर्यटकों को सांस्कृतिक ज्ञान और समकालीन प्रशासनिक दृष्टिकोण की जानकारी मिल सके।