जहाजों और बंदरगाहों की सुरक्षा को सुदृढ़ करने की दिशा में बड़ा कदम: Bureau of Port Security के गठन पर केन्द्रीय गृह मंत्री की समीक्षा बैठक

देश की समुद्री सीमाओं, व्यापारिक गतिविधियों और सामरिक हितों की सुरक्षा को और अधिक मजबूत बनाने के उद्देश्य से केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने जहाजों और बंदरगाहों की सुरक्षा के लिए एक समर्पित Bureau of Port Security (BoPS) के गठन से संबंधित उच्चस्तरीय समीक्षा बैठक की। इस बैठक में केन्द्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्री तथा केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री की उपस्थिति भी रही, जो इस विषय की राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक महत्व को दर्शाती है।

जहाजों और बंदरगाहों की सुरक्षा को सुदृढ़ करने की दिशा में बड़ा कदम: Bureau of Port Security के गठन पर केन्द्रीय गृह मंत्री की समीक्षा बैठक

बंदरगाह सुरक्षा के लिए एकीकृत और जोखिम आधारित दृष्टिकोण

बैठक के दौरान श्री अमित शाह ने देशभर के बंदरगाहों के लिए एक मजबूत, एकीकृत और आधुनिक सुरक्षा ढांचा स्थापित करने की आवश्यकता पर विशेष बल दिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि सुरक्षा उपायों को सभी बंदरगाहों पर समान रूप से लागू करने के बजाय, व्यापारिक क्षमता, भौगोलिक स्थिति, संवेदनशीलता और अन्य संबंधित जोखिम मापदंडों के आधार पर क्रमबद्ध तरीके से लागू किया जाना चाहिए। इससे संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित होगा और उच्च जोखिम वाले बंदरगाहों पर सुरक्षा को प्राथमिकता दी जा सकेगी।

Merchant Shipping Act, 2025 के तहत वैधानिक निकाय

Bureau of Port Security का गठन हाल ही में अधिनियमित Merchant Shipping Act, 2025 की धारा 13 के प्रावधानों के अंतर्गत एक वैधानिक निकाय के रूप में किया जाएगा। यह ब्यूरो केन्द्रीय पत्तन, पोत परिवहन एवं जलमार्ग मंत्रालय के अधीन कार्य करेगा और जहाजों, बंदरगाहों तथा उनसे जुड़ी सुविधाओं की सुरक्षा से संबंधित नियामक और निरीक्षण संबंधी जिम्मेदारियों का निर्वहन करेगा।

BoPS की संरचना और कार्यप्रणाली को Bureau of Civil Aviation Security की तर्ज पर विकसित किया जा रहा है, जिससे विमानन सुरक्षा क्षेत्र में स्थापित श्रेष्ठ प्रक्रियाओं और अनुभवों का लाभ समुद्री सुरक्षा में भी लिया जा सके।

नेतृत्व और संक्रमण व्यवस्था

Bureau of Port Security का नेतृत्व भारतीय पुलिस सेवा के एक वरिष्ठ अधिकारी द्वारा किया जाएगा, जिनका वेतन स्तर 15 निर्धारित किया गया है। संक्रमण काल को सुचारु बनाने के लिए एक वर्ष की अवधि तय की गई है, जिसके दौरान नौवहन महानिदेशक, यानी DGS या DGMA, BoPS के महानिदेशक के रूप में कार्य करेंगे। यह व्यवस्था नए ब्यूरो के गठन के दौरान निरंतरता और प्रशासनिक स्थिरता सुनिश्चित करने के उद्देश्य से की गई है।

साइबर सुरक्षा और सूचना प्रबंधन पर विशेष जोर

बैठक में यह भी रेखांकित किया गया कि आधुनिक बंदरगाहों की सुरक्षा केवल भौतिक सुरक्षा तक सीमित नहीं रह गई है। BoPS को सुरक्षा से संबंधित सूचनाओं के समयबद्ध संग्रहण, विश्लेषण और आदान-प्रदान की जिम्मेदारी दी जाएगी। इसमें साइबर सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।

इसके अंतर्गत बंदरगाहों की आईटी अवसंरचना को डिजिटल और साइबर खतरों से सुरक्षित रखने के लिए एक समर्पित प्रभाग स्थापित किया जाएगा। बढ़ते डिजिटलीकरण और स्वचालन के बीच यह कदम समुद्री सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माना जा रहा है।

CISF की भूमिका और निजी सुरक्षा एजेंसियों का नियमन

बंदरगाहों की सुरक्षा अवसंरचना को मजबूत करने के उद्देश्य से केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल को बंदरगाह सुविधाओं के लिए Recognised Security Organisation के रूप में नामित किया गया है। CISF बंदरगाहों का सुरक्षा मूल्यांकन करेगा और आवश्यक सुरक्षा योजनाएं तैयार करेगा।

इसके साथ ही CISF को बंदरगाहों पर तैनात निजी सुरक्षा एजेंसियों को प्रशिक्षण देने और उनकी क्षमता निर्माण की जिम्मेदारी भी सौंपी गई है। इन एजेंसियों को प्रमाणन प्रक्रिया से गुजरना होगा और यह सुनिश्चित किया जाएगा कि केवल लाइसेंस प्राप्त निजी सुरक्षा एजेंसियां ही बंदरगाह सुरक्षा के क्षेत्र में कार्य करें। इसके लिए आवश्यक नियामक उपाय लागू किए जाएंगे।

समुद्री और विमानन सुरक्षा के बीच अनुभवों का साझा उपयोग

बैठक में यह भी उल्लेख किया गया कि समुद्री सुरक्षा ढांचे से प्राप्त अनुभवों और श्रेष्ठ प्रथाओं को विमानन सुरक्षा क्षेत्र में भी लागू किया जाएगा और इसके विपरीत विमानन सुरक्षा में विकसित प्रक्रियाओं का लाभ समुद्री क्षेत्र को मिलेगा। यह परस्पर सीखने की प्रक्रिया राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र को और अधिक सुदृढ़ बनाएगी।

राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों की रक्षा की दिशा में महत्वपूर्ण पहल

Bureau of Port Security के गठन की यह पहल न केवल भारत के बंदरगाहों और जहाजों की सुरक्षा को नई मजबूती प्रदान करेगी, बल्कि देश के बढ़ते समुद्री व्यापार, लॉजिस्टिक्स और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में भारत की भूमिका को भी सुरक्षित और विश्वसनीय बनाएगी। यह कदम राष्ट्रीय सुरक्षा, आर्थिक विकास और अंतरराष्ट्रीय विश्वास को सुदृढ़ करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।

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