जानिए क्या होता है ब्रेन ट्यूमर? सावधानियां और इलाज संबंधित जानकारी

विश्व ब्रेन ट्यूमर दिवस

ब्रेन ट्यूमर

मस्तिष्क में होने वाला ट्यूमर अत्यंत घातक बीमारी है। यदि सही समय पर इसका इलाज न किया जाए तो यह बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है। मनुष्य के मस्तिष्क में कोशिकाओं और ऊतकों की गांठ बन जाती है और यह ब्रेन ट्यूमर कहलाती है। हालांकि ब्रेन ट्यूमर किसी को भी किसी भी उम्र में हो सकता है परंतु यदि किसी के परिवार में पहले से ब्रेन ट्यूमर का इतिहास है तो उन्हें यह बीमारी होने की संभावना अधिक बढ़ जाती है।

वही यह समस्या वृद्ध लोगों में अधिकतर देखने को मिलती है। भारत में ब्रेन ट्यूमर की समस्या को लेकर एक रिपोर्ट के मुताबिक यह ट्यूमर 10 वीं सबसे आम बीमारी बताई गई है। ब्रेन ट्यूमर से निदान की संख्या की सालाना दर बहुत अधिक नहीं है परंतु इसकी मृत्यु दर अभी भी चिंता का विषय बनी हुई है। ब्रेन ट्यूमर का इलाज अत्यंत कठिन है परंतु यदि समय पर इसका इलाज शुरू किया जाए तो काफी हद तक नियंत्रण पाया जा सकता है।

ब्रेन ट्यूमर जैसी गंभीर समस्या के प्रति लोगों में जागरूकता उत्पन्न हो सके, इसलिए विश्व भर में 8 जून को विश्व ब्रेन दिवस यानी वर्ल्ड ब्रेन टयूमर डे मनाया जाता है। इस लेख में हम ब्रेन ट्यूमर के लक्षण, इलाज और सावधानियों के बारे में जानने का प्रयास करेंगे। 

ब्रेन ट्यूमर के लक्षण और इसका कैसे पता लगाएं?-

इसके लक्षण और इसका कैसे पता लगाया जा सकता है इस पर बात करते हुए नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल के कंसल्टेंट – न्यूरोलॉजी, डॉक्टर डॉ रजत चोपड़ा बताते हैं- 

  • लक्षण:

ब्रेन ट्यूमर के लक्षण पर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि अधिकतर समस्याएं इसी लापरवाही के चलते बढ़ती हैं और देरी होने पर सफल उपचार भी नहीं मिल पाता।

इसके मुख्य लक्षण सिर में दर्द बना रहना, उल्टी और मतली की समस्या होना, ढंग से नींद ना आने की समस्या, आंखों से धुंधला दिखाई देना, दूर की नजर का कमजोर होना, याददाश्त कमजोर होना, चलते-चलते अचानक लड़खड़ा जाना, मांसपेशियों में ऐंठन है, इन लक्षणों पर ध्यान देते हुए समय पर डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए, तभी जाकर इन लक्षणों का स्पष्ट कारण पता लग सकेगा।

ब्रेन ट्यूमर का कैसे पता लगाया जाता है:– 

  • सीटी स्‍कैन-  सिटी स्कैन में सिर के असामान्य क्षेत्रों की जांच की जाती है और ब्रेन ट्यूमर का पता लगाया जाता है।
  • एमआरआई- एमआरआई की प्रक्रिया में सिर के अंदर के चित्रों को देखकर ट्यूमर के आकार का पता लगाया जाता है। 
  • बायोप्‍सी- बायोप्सी द्वारा कैंसर या ऊतकों के परिवर्तन को देखा जाता है जिससे यह स्पष्ट हो पाता है कि ट्यूमर कितना बड़ा है।
  • एंज‍ियोग्राफी- एंजियोग्राफी में इंजेक्शन की मदद से रक्त वाहिकाओं में डाई डालकर एक्स-रे करते हैं जिससे ब्रेन ट्यूमर की स्थिति के बारे में पता चलता है।
  • स्पाइनल टैप- स्पाइनल टैप की प्रक्रिया में रीढ़ की हड्डी के निचले हिस्से से तरल पदार्थ का नमूना लेकर जांच की जाती है।
  • न्यूरोलॉजिकल जांच- न्यूरोलॉजिकल जांच में नसों की जांच की जाती है और इसमें मांसपेशियों की ताकत कितनी है, सुनने की शक्ति व दृष्टि क्षमता का परीक्षण किया जाता है। 

इस बीमारी के इलाज के विकल्प:- 

ब्रेन ट्यूमर के इलाज के प्रकारों पर बात करते हुए डॉक्टर डॉक्टर पूजा खुल्लर, सीनियर कंसल्टेंट – रेडिएशन ऑन्कोलॉजी, धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली ने बताया कि ब्रेन ट्यूमर का इलाज मरीज की स्थिति और ट्यूमर के आकार पर निर्भर करता है।

डॉक्टर पहले जांच ( सिटी स्कैन, एमआरआई ब्रेन ) के माध्यम से यह पता लगाते हैं की कैंसर कितना फैल चुका है, इसकी सटीक जगह क्या है, कोशिकाएं कितनी असामान्य है और इस समय मरीज की स्थिति क्या है, उसके बाद डॉक्टर यह तय करते हैं कि इसका कैसे इलाज किया जाए। जिसके लिए कई विकल्प अपनाए जाते हैं।

  • सर्जरी- सर्जरी का विकल्प तब अपनाया जाता है जब यह देखा जाता है कि इससे ट्यूमर को आसानी से निकाला जा सकेगा। सर्जरी में यह भी देखा जाता है कि इसमें पूरा ट्यूमर निकाला जाएगा या आधा। यह अत्यंत जटिल प्रक्रिया है, जिसके साइड इफेक्ट भी हो सकते हैं। इससे इन्‍फेक्‍शन या ब्‍लीड‍िंग की समस्या भी हो सकती है।   
  • रेड‍िएशन थेरेपी- एक्स-रे तकनीकी के प्रयोग के माध्यम से ट्यूमर की कोशिकाओं को खत्म करने के लिए रेडिएशन थेरेपी प्रक्रिया अपनाई जाती है। इसके कारण शरीर में थकान, त्वचा में कालापन और सिरदर्द जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
  • कीमोथेरेपी- कीमोथेरेपी प्रक्रिया के द्वारा दवाओं को इंजेक्शन की मदद से दिया जाता है, जिससे ट्यूमर की कोशिकाओं को नष्ट किया जा सकता है। इसके साइड इफेक्ट भी हैं कीमोथेरेपी में मरीज के बाल झड़ने लगते हैं, भूख नहीं लगती, उसे उल्‍टी या मतली महसूस हो सकती है। 
  • दवाएं- ब्रेन ट्यूमर के इलाज के बाद भी यह कैंसर दोबारा लौट सकता है और इसलिए इसके लक्षणों को कंट्रोल करने के लिए डॉक्टर दवाइयां देते हैं। इसमें दौरा पड़ने पर एंटीसीजर दवाई भी दी जाती है, यह दवाएं ब्रेन ट्यूमर के कारण आई सूजन को कम करने में भी मदद करते हैं। ‌
  • पैलिएटिव केयर- कैंसर के साइड इफेक्ट को कम करने के लिए पैलिएटिव केयर की मदद ली जाती है इसके माध्यम से इलाज करा रहे व्यक्ति को मानसिक व शारीरिक तौर पर काफी राहत मिलती है क्योंकि कैंसर के कारण व्यक्ति बहुत कमजोर हो जाता है और ऐसे में उसे पैलिएटिव केयर के माध्यम से ठीक किया जाता है। इसमें दवाएं, पोषण और आराम के तरीके अपनाकर मानसिक स्वास्थ्य को सही करने का प्रयास किया जाता है।

इन लक्षणों को नजरअंदाज ना करें-

डॉ प्रशांत कुमार चौधरी, सीनियर कंसल्टेंट, न्यूरोलॉजी, श्री बालाजी एक्शन मेडिकल इंस्टीट्यूट, बताते हैं कि  किसी भी प्रकार की गांठ जो हमारे मस्तिष्क के अंदर बनती है या कहीं और से वहां पहुंचती है, जिसकी वजह से हमारे नॉर्मल ब्रेन सेल्स डैमेज होते हैं यही ब्रेन ट्यूमर का एक रूप है। यह कई प्रकार के होते हैं जिसमें कुछ ब्रेन के अंदर ही बनाते हैं और कुछ मस्तिष्क के बाहर हिस्से से आते हैं। इनमें कुछ ऐसे लक्षण हैं जिन्हें आपको कभी भी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए, जैसे- 

  • असहनीय सिर दर्द:- लोगों में सिर दर्द तो होता है पर वह ठीक हो जाता है परंतु कभी-कभी सिर दर्द ठीक नहीं होता, लगातार बना रहता है, दवाइयां लेने के बाद भी तेजी से सिर दर्द होता है इसके साथ ही सिर दर्द के साथ, चक्कर आना, उल्टियां होना जैसी समस्याएं हैं तो इसे जरा भी नजरअंदाज ना करें।
  • अचानक बेहोश हो जाना:- यदि आप बैठे-बैठे बेहोश हो जा रहे हैं या फिर चलते-चलते भी बेहोशी की हालत में हो रहे हैं जिसका कारण आपको पता नहीं चल रहा है। आपको इस लक्षण कभी इग्नोर नहीं करना है। दौरे पड़ना- यदि आपको बार-बार मिर्गी के दौरे पड़ रहे हैं खासकर सामान्य व्यक्ति जिन्हें पहले किसी भी प्रकार की समस्या ना हो और अचानक दौरे पड़ने लगे तो तुरंत जांच करवाएं।
  • किसी भी अंग का अचानक से पैरालाइज हो जाना:- किसी भी अंग का अचानक से पैरालाइज हो जाना या फिर धीरे-धीरे पैरालाइज होना ब्रेन ट्यूमर के संकेत देता है, ऐसे में ब्रेन को स्कैन करके देखने की जरूरत होती है कि आखिर क्या समस्या है। पूरे भारत में हर जिले में आजकल सीटी स्कैन की व्यवस्था है इसलिए बगैर लापरवाही किए आप सिटी स्कैन करवा लें।
  • धीमे-धीमे समय के साथ आंखों की रोशनी का जाना:- कभी-कभी चोट लगने के कारण या फिर उम्र ढलने के कारण धीमे-धीमे आंखों की रोशनी जाने लगती है। ऐसे में आप यदि अपनी जांच करवाते हैं और डॉक्टर कहते हैं कि आप की पुतलियां ठीक हैं और आप चश्मा लगा रहे हो इसके बावजूद भी आपकी रोशनी धीमे-धीमे कम हो रही है ऐसे में आपको किसी न्यूरोसर्जन को दिखाने की जरूरत है।

उन्होंने बताया कि यदि इस प्रकार के लक्षणों पर ध्यान देकर जल्द इलाज कराया जाए तब ब्रेन ट्यूमर से व्यक्ति को निजात दिलाई जा सकती है। ऐसे कई सारे मरीज हमारे पास आते हैं, जिनके जल्द लक्षण पकड़ने के कारण उन्हें सफल इलाज भी मिल जाता है और वे दवाइयों व सफल इलाज के कारण आज नॉर्मल लाइफ जी रहे हैं। इसलिए इन लक्षणों को जरा भी इग्नोर ना करें और तुरंत जांच कराएं। 

इसलिए आपको यह ध्यान रखना है कि यदि किसी भी प्रकार के ब्रेन ट्यूमर से संबंधित लक्षण दिखाई पड़ रहे हैं तो उन्हें जरा भी इग्नोर ना करें। इसके साथ ही आपको एक स्वस्थ जीवन शैली अपनाना अत्यंत महत्वपूर्ण है। जिसमें नियमित योगाभ्यास, भरपूर नींद, स्वास्थ्य आहार के साथ धूम्रपान व शराब से दूरी बनाकर आप एक स्वस्थ जीवन शैली का आनंद ले सकते हैं। 

विनीता झा
आपका सहयोग ही हमारी शक्ति है! AVK News Services, एक स्वतंत्र और निष्पक्ष समाचार प्लेटफॉर्म है, जो आपको सरकार, समाज, स्वास्थ्य, तकनीक और जनहित से जुड़ी अहम खबरें सही समय पर, सटीक और भरोसेमंद रूप में पहुँचाता है। हमारा लक्ष्य है – जनता तक सच्ची जानकारी पहुँचाना, बिना किसी दबाव या प्रभाव के। लेकिन इस मिशन को जारी रखने के लिए हमें आपके सहयोग की आवश्यकता है। यदि आपको हमारे द्वारा दी जाने वाली खबरें उपयोगी और जनहितकारी लगती हैं, तो कृपया हमें आर्थिक सहयोग देकर हमारे कार्य को मजबूती दें। आपका छोटा सा योगदान भी बड़ी बदलाव की नींव बन सकता है।
Book Showcase

Best Selling Books

The Psychology of Money

By Morgan Housel

₹262

Book 2 Cover

Operation SINDOOR: The Untold Story of India's Deep Strikes Inside Pakistan

By Lt Gen KJS 'Tiny' Dhillon

₹389

Atomic Habits: The life-changing million copy bestseller

By James Clear

₹497

Never Logged Out: How the Internet Created India’s Gen Z

By Ria Chopra

₹418

Translate »