रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने भारतीय उद्योग परिसंघ (CII) के वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि मेक-इन-इंडिया न केवल हमारी रक्षा नीति का मूल आधार बन चुका है, बल्कि यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा का एक आवश्यक स्तंभ भी बन गया है। उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान देश की स्वदेशी क्षमताओं की सराहना करते हुए बताया कि यदि भारत ने अपनी घरेलू रक्षा संरचनाओं को मजबूत न किया होता, तो आतंकवाद के विरुद्ध इतनी प्रभावशाली कार्रवाई संभव नहीं होती।

श्री सिंह ने जोर देते हुए कहा कि स्वदेशी प्रणालियों ने यह सिद्ध कर दिया है कि भारत दुश्मनों के किसी भी सुरक्षा कवच को भेदने की क्षमता रखता है। उन्होंने ‘शक्ति और संयम’ के संतुलन का उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि देश ने आतंकवादियों के ठिकानों को ध्वस्त करने के साथ-साथ यह भी दिखा दिया कि भारत अपनी रणनीतिक परिपक्वता में भी अग्रणी है।
एएमसीए: भारत का पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की ओर साहसी कदम
रक्षा मंत्री ने ‘एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (AMCA)’ कार्यक्रम को भारत के आत्मनिर्भर रक्षा क्षेत्र की दिशा में एक मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि इस मेगा प्रोजेक्ट में पहली बार निजी क्षेत्र को सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के साथ साझेदारी का अवसर मिलेगा, जो स्वदेशी एयरोस्पेस क्षमताओं को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगा। उन्होंने बताया कि परियोजना के अंतर्गत पांच प्रोटोटाइप विकसित किए जाएंगे, जिनके बाद श्रृंखलाबद्ध उत्पादन प्रारंभ होगा। यह कदम मेक-इन-इंडिया के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ साबित होगा।
पाकिस्तान को मिल चुका है स्पष्ट संदेश
श्री राजनाथ सिंह ने कहा कि भारत ने आतंकवाद के विरुद्ध अपनी रणनीति और प्रतिक्रिया को पूरी तरह पुनर्परिभाषित किया है। पाकिस्तान अब यह भलीभांति समझ चुका है कि आतंकवाद एक महंगा सौदा है और इसकी कीमत उसे चुकानी पड़ेगी। उन्होंने स्पष्ट किया कि अब भारत की पाकिस्तान से बातचीत का विषय केवल आतंकवाद और पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) होगा।
उन्होंने दो टूक कहा कि पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और वहां के लोग अंततः स्वेच्छा से भारत की मुख्यधारा में लौट आएंगे। उन्होंने इस स्थिति की तुलना महाराणा प्रताप के भाई शक्ति सिंह से करते हुए कहा कि यह संबंध कभी टूटता नहीं, केवल समय का अंतर हो सकता है।
रक्षा क्षेत्र में ऐतिहासिक प्रगति
रक्षा मंत्री ने बताया कि पिछले एक दशक में भारत के रक्षा उत्पादन ने 43,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 1.46 लाख करोड़ रुपये का ऐतिहासिक आंकड़ा पार कर लिया है, जिसमें निजी क्षेत्र का योगदान 32,000 करोड़ रुपये से अधिक है। वहीं, रक्षा निर्यात भी 600-700 करोड़ रुपये से बढ़कर 24,000 करोड़ रुपये के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है। आज भारत लगभग 100 देशों को रक्षा प्रणालियां, उपकरण और सेवाएं निर्यात कर रहा है। इस क्षेत्र में 16,000 से अधिक एमएसएमई इकाइयाँ आपूर्ति श्रृंखला की रीढ़ बन चुकी हैं, जो न केवल आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दे रही हैं बल्कि लाखों लोगों को रोजगार भी दे रही हैं।

नई तकनीकों में भारत की मजबूत पकड़
श्री सिंह ने कहा कि भारत अब केवल पारंपरिक हथियार प्रणालियां नहीं, बल्कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, साइबर डिफेंस, मानवरहित प्रणालियों और अंतरिक्ष आधारित सुरक्षा में भी वैश्विक स्तर पर मजबूती से उभर रहा है। देश में इंजीनियरिंग और उन्नत विनिर्माण के लिए विकास केंद्र बनने की अद्भुत क्षमता है।
भारत का भविष्य: विश्वास, नवाचार और समर्पण
सम्मेलन की थीम ‘विश्वास निर्माण और भारत सर्वप्रथम’ पर बोलते हुए रक्षा मंत्री ने कहा कि देश आज विश्व की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है। उन्होंने कहा कि यह केवल संख्यात्मक उपलब्धि नहीं, बल्कि देश पर दुनिया के भरोसे का प्रतीक है। अब भारत केवल रक्षा प्रौद्योगिकी का उपभोक्ता नहीं, निर्माता और निर्यातक भी बन गया है।
उन्होंने उद्योग जगत से आह्वान किया कि वे कंपनी हितों से ऊपर उठकर राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दें। उन्होंने कहा, “अगर कंपनी के हितों की रक्षा करना आपका कर्म है, तो राष्ट्रीय हितों की रक्षा करना आपका धर्म है।”
2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य
श्री सिंह ने विश्वास जताया कि सरकार और उद्योग के समन्वित प्रयासों से ही भारत को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि किसी देश की ताकत केवल जीडीपी, एफडीआई और निर्यात के आंकड़ों से नहीं, बल्कि उस देश के अपने भू-राजनीतिक हितों और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की क्षमता से आंकी जाती है।
प्रमुख उपस्थिति
इस कार्यक्रम में नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह, रक्षा सचिव श्री राजेश कुमार सिंह, डीआरडीओ प्रमुख डॉ. समीर वी. कामत, उप-सेना प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एन.एस. राजा सुब्रमणि, सीआईआई अध्यक्ष श्री संजीव पुरी सहित उद्योग जगत के कई प्रमुख प्रतिनिधि उपस्थित रहे।