रोमांचक घटना: जिंदगी मझधार में

बस पूरी रफ्तार से दौड़ी चली रही थी, बस के अंदर बैठे मेरे विचारों की रफ्तार…

स्नेहल रिश्तों की कहानी- बुलबुल

सन् 2025 के अप्रैल महीने की बात है, दिन के करीब बारह बज रहे थे। मैं…

मझधार में नाव

बस पूरी रफ्तार से दौड़ी चली रही थी, बस के अंदर बैठे मेरे विचारों की रफ्तार…

पहली कविता: सुरेश सिंह बैस “शाश्वत”

मैं जब सन् 1983 में कक्षा ग्यारहवीं स्कूल लाल बहादुर शास्त्री हायर सेकेंडरी बिलासपुर में पढ़…

सच्ची घटना पर आधारित: रॉकी

यह बात उन दिनों की है जब सन 1983- 84 में मैं हायर सेकेंडरी बोर्ड 11वीं…

अंधेरी स्याह भीगती सर्द रात की वो सुबह….? 

पूस की उस घनी अंधेरी स्याह और सर्द रात में मैं टीने के टपरी नुमा शेड…

अरपा का जीवनदान

अरपा नदी से जुड़ी बचपन की मार्मिक आपबीती, जिसमें मौत के मुंह से लौटकर मिले जीवनदान…

बेशकीमती 

माँ सारा काम निपटा चुकी थी। दालान से लेकर सारे घर आंगन की झारा-बटोरी,हर छोटा-बड़ा काम…

कहानी: वो मास्टरनी

मैं उसे ‘मास्टरनी’ कहकर ही पुकारता था। वैसे तो वो डिग्री कालेज में प्रोफेसर थी मगर…

“वो अड़तालीस घंटे”

आज से करीब तीस वर्ष पूर्व की यह घटना है। बात शुरू होती है भिलाई स्टील…

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